आरपीएफ ने तीन युवतियों को मुक्त कराया

बेंगलूरु. दक्षिण पश्चिम रेलवे के बेंगलूरु रेल मंडल के रेलवे सुरक्षा बल स्टाफ ने यलहंका रेलवे स्टेशन के पास से सैक्स रैकेट के लिए लाई गई तीन युवतियों को तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया है। तीनों युवतियां चंद्रशेखर लेआउट, अन्नपूर्णेश्वरी नगर, बेंगलूरु के एक पीजी से भाग कर यहां पहुंची थीं। तीनों युवतियां दिल्ली के करोलबाग से यहां नौकरी का झांसा देकर लाई गई थीं।
वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त देवस्मिता चट्टोपाध्याय को ३१ अगस्त रात करीब साढ़े आठ बजे यलहंका रेलवे स्टेशन के पास तीन युवतियों के संदिग्ध हाल में घूमने की सूचना मिली थी। इस पर उन्होंने तस्करों व युवतियों पर नजर रखने के लिए टीमों का गठन किया। टीम प्रभारी उपनिरीक्षक पी. अनुषा को बनाया गया। उपनिरीक्षकअनुषा केनेतृत्व में टीम और प्रभारी ऑपरेशन नन्हें फरिश्ते ने यलहंका रेलवे स्टेशन के पास निगरानी रखते हुए क्रमश: 26, 22 और 19 वर्ष की 3 लड़कियों को तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया। तीनों युवतियां फिर से तस्करों के चंगुल में फंसने से बच रही थीं।


जानकारी के अनुसार तीनों युवतियांं चंद्रशेखर लेआउट, अन्नपूर्णेश्वरी नगर, बेंंगलूरु के एक पीजी से अपहरणकर्ताओं के चंगुल से बचकर भागी थीं। तीनों युवतियोंं को ३० अगस्त को ही दिल्ली से हवाईजहाज द्वारा बेंगलूरु लाया गया था। एक कुख्यात अंतरराष्ट्रीय तस्कर की मदद से उन्हें सेक्स रैकेट के कारोबार में धकेलने के लिए, बीते दिनों करोलबाग दिल्ली के क्लब में शो/इवेंट के आयोजक के रूप में पेश किया गया था। नौकरी का झांसा देकर एक सामान्य मित्र के माध्यम से उनसे संपर्क कराया गया था। तीनों युवतियों को होटल या विला के बजाय उन पर निगरानी में पीजी में रखा गया था।
31 अगस्त को उन्हें एक ग्राहक के समक्ष मनोरंजन के लिए पेश किया गया। लड़कियों के ऐसा करने से इनकार करने पर उन्हें पीजी के अंदर बंद कर दिया गया। लेकिन सौभाग्य से उनमें से एक लड़की चौकीदार का ध्यान भटकाकर चाबी पाने में सफल रही और मुख्य दरवाजा खोलने में कामयाब रही। तीनों युवतियां चौकीदार को गच्चा देकर भागने लगीं। इस दौरान उनका चौकीदार से झगड़ा भी हुआ। तीनों युवतियों के पास 2 नग ट्रॉली बैगेज, 2 नग सोने की चेन, 1 नग ईयर स्टड, नकद रुपए छीन लिए। 25,000/-लगभग, महत्वपूर्ण दस्तावेज, एक हैंगिंग बैग का लेकिन अंत में वे कैसे भागने में कामयाब रहे। यलहंका रेलवे स्टेशन पर यह संदेह करते हुए आ गए कि तस्कर उनका पीछा कर रहे थे। आरपीएफ टीम द्वारा बचाए जाने पर उन्होंने आरपीएफ टीम को अपनी तस्करी के पीछे की पूरी कहानी सुनाई। इस आशय के लिए उनके बयान दर्ज किए गए और आवश्यक चिकित्सा परीक्षण के बाद बेंगलूरु में स्टेट होम फॉर वुमेन को सौंप दीया।

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