डाॅक्टर बनेगा बाङमेर का गरीब कुली का बेटा खेराज

डाॅक्टर बनेगा गरीब कुली का बेटा खेराज
सपना हुआ सच:
धोरीमन्ना टैगलाईन कवरेज
जोधपुर प्लेटफाॅर्म पर कुली जुगताराम ने बेटे को
पढ़ाने के लिए 8 साल तक खूब पसीना बहाया। एआईपीएमटी में
चयनित होकर बेटे ने सपना सच कर दिखाया।
कोटा। मेरे पापा जोधपुर प्लेटफार्म पर रोज 100-150 रूपए
कमाते हैं। किसी दिन खाली हाथ घर लौट आते हैं, लेकिन अगले
दिन फिर मेहनत मेु जुट जाते हैं। हम बाड़मेर के पास सरनू सीमनजी
गांव में रहते हैं। अनपढ़ मां नौजी देवी आज भी वहां मजदूरी
करती है। जब मैं 8वीं तक गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ा, घर में
बिजली नहीं है, इसलिए चिमनी के उजाले में पढता था।
परीक्षा के दिनों में नाना के घर जाकर पढ़ा। गरीबी इतनी
कि आज भी हमारे घर में बिजली नहीं है। बचपन से पापा को
कड़ी मेहनत करते देखा है। उन्होंने बीए, बीएड तक पढ़ाई की
लेकिन नौकरी नहीं मिली तो 8 साल पहले जोधपुर प्लेटफार्म
पर कुली बनकर घर का खर्च चलाते रहे। इकलौता बेटा होने से मुझे
आगे की पढ़ाई के लिए वे जोधपुर ले आए। उनके साथ किराए के
कमरे में रहकर 12वीं तक पढ़ा। वे जो भी कमाते मेरी पढ़ाई पर
खर्च कर देते।
मुझे डाॅक्टर बनाने के लिए उन्होंने खुली आंखों से सपना देखा।
मुझसे कहा कि 75 प्रतिशत अंक ले आओ, मैं तुझे कोटा में कोचिंग
दिलाना चाहता हूँ | उन्हें गरीबी में रोज पसीना बहाते देख मैने
12वीं में खूब मेहनत की, जिससे राजस्थान बोर्ड में 79 प्रतिशत
अंक मिले। मैने मेडिकल की क्लासरूम कोचिंग के लिए एलेन,
कोटा में एडमिशन लिया। पापा के साथी कुलियों ने भी कुछ
राशि उधार देकर मदद की। गांव से यहां आकर सभी राज्यों के
बीच पढ़ते हुए मुझे नई चुनौती मिली। गरीब छात्र होने से मुझे
संस्थान से स्काॅलरशिप मिली तो मेरा हौसला दोगुना हो
गया। यहां आकर अच्छे संस्कार मिले। पहले साल
एआईपीएमटी,2014 में मुझे रैंक-18500 मिली लेकिन मैं हिम्मत
नहीं हारा। दूसरे वर्ष एलेन ने 50 प्रतिशत स्काॅलरशिप देकर मेरी
राह आसान कर दी। मैं पापा का सपना सच करने में पूरी ताकत
से जुट गया। संस्थान के टेस्ट में टाॅप-20 में आने पर सिल्वर मैडल
मिला। एआईपीएमटी में ओबीसी वर्ग में एआईआर-285 और स्टेट
रैंक-127 मिली तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। खेराज ने
बताया कि उसे स्टेट रैंक के आधार पर एसएमएस, जयपुर या गवर्नमेंट
मेडिकल काॅलेज, जोधपुर में एमबीबीएस में एडमिशन मिल
जाएगा।
यह खबर सुनते ही गांववालों ने मिठाई बांटी और जोधपुर
प्लेटफार्म पर सभी साथी कुलियों ने मिलकर उसे बाहों मे भर
लिया। कुली जुगता राम ने गर्व से कहा- मैं पढ़लिखकर भी
शिक्षक नहीं बन सका लेकिन कुली के रूप में मेहनत करते हुए बेटे
को डाॅक्टर बनाने का सपना तो सच हो गया।
यूनिफार्म मे ही बिताया पूरा साल
गरीबी को मैने बहुत करीब से देखा फिर भी गर्व से जीना
सीखा। एकमात्र लक्ष्य पापा का सपना पूरा करना था। कभी
दूसरे कपडे़ खरीदने के लिए पैसे नहीं थ, इसलिए कोटा में पूरे साल
चार यूनिफार्म पहनकर समय निकाला। मां आज भी अनपढ़
मजदूर है। गांव में घर की चिमनी से अंधेरा रहता था, लेकिन
कोटा आकर देखा कि गांवों से कितने विद्यार्थी लगन से
पढ़ाई कर रहे हैं।मुझे नई उर्जा मिली। पापा ने एक हजार रूपए का
सामान्य फोन दिलाया था। अब डाॅक्टर बनकर भी कभी
गरीबों के दर्द को नहीं भूल सकता। यहां के शिक्षकों ने बहुत
गाइड किया। मैने बहुत टेस्ट दिए जिससे खूब प्रेक्टिस हुई और
अच्छी रैंक मिल सकी।
यह पिता की मेहनत का फल
खेराज ने ‘संस्कार से सफलता’ के ध्येय पर चलकर पिता का सपना
सच कर दिखाया। संस्थान में ऐसे गरीब मेधावी बच्चों को
सामाजिक सरोकार के तहत स्काॅलरशिप दी जाती है। ऐसे
सभी गरीब बच्चों पर हमें गर्व है और भविष्य में भी आवश्यकता
होने पर संस्थान की ओर से आर्थिक मदद की जाएगी।

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