बाड़मेर- खांप ने लगा रखी थी पीड़ित परिवार पर कई पाबंदियां, बाड़मेर में दो बहनों के साथ गैंगरेप में बड़ा खुलासा.

खांप पंचायत ने बीस महीने से कर रखा है परिवार का हुक्का पानी बंद.. जिला प्रशासन पर उठे सवाल.. खांप पंचायत ने लगा रखा था पत्नी पर गाँव में आने पर प्रतिबंध.. खांप पंचायत ने लगा रखा था इस  परिवार को सरकारी योजनाओं से वंचित रखने का फरमान..
- चन्दन सिंह भाटी 
बाड़मेर, राजस्थान के बाड़मेर में स्कूल एस घर लौट रही दो बहनों के साथ सामूहिक रेप मामले में सनसनीखेज खुलासे ने बाड़मेर के प्रशासन, पुलिस के साथ ही सरकार को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है. पीड़ित लड़कियों के पिता ने पहली बार अपने गाँव से बाहर आकर अपनी बेटियो का अस्पताल में इलाज करवाने के बाद मीडिया से बात करते हुए पखुलासा किया कि उसके परिवार का हुक्का पानी पिछले बीस महीने से समाज ने बंद कर रखा है. यहाँ तक कि उसकी पत्नी के गाँव में प्रवेश करने पर भी प्रतिबंध लगा रखा है. यही नहीं बल्कि पिछले बीस महीने से सरकारी योजनाओं के फायदे उठाने पर भी समाज ने पाबन्दी लगा रखी है. राशन डीलर इस परिवार को राशन तक नहीं देता है.



आज़ाद भारत का मुगालता पालने वालों के लिए एक बुरी खबर हैं. बाड़मेर आज भी तुगलकी ब्रिटिश कालीन स्थिति में हैं. हद हैं 20 माह से ज्यादा समय से एक परिवार सरकारी योजनाओं से वंचित रहा मनरेगा का काम इस परिवार के लिए प्रतिबंधित रहा मज़े की बात यह हैं कि राजस्थान सरकार का नियुक्त राशन डीलर इनके सरकारी राशन कार्ड पर अनाज नही देता था. इसका कारण जान कर आप भी हतप्रभ रहे जायेंगे कि इसको सरकारी !! माफ़ करे !! लोकतान्त्रिक पद्धति से चुनी हुई सरकार ने ये सुविधाएँ नही दी क्यूंकि खांप पंचायत के इस परिवार को समाज से बहिष्कृत कर रखा था और बाद में इसी समाज के ठेकेदारों ने परिवार की दो युवतियों को हवस का शिकार बना दिया. पुलिस से वहशी भेडियो की हवस का शिकार हुई इन दोनों पीड़िताओ ने बलात्कार के प्रयास की शिकायत भी की लेकिन गिड़ा थाना इनके लिए कोई उम्मीद का सहारा नही रहा. सामूहिक बलात्कार में दरिंदो ने समाज से बहिष्कृत हो चुके इस परिवार की दो बेटियों दो सगी बहनों को हवस का शिकार बनाया लेकिन पुलिस की मूक दर्शी रवैया कायम रहा. अब जब यह मामला प्रकाश में आया तो मानवाधिकार संगठनो ने आगे बढ़ कर इस प्रकरण को आन्दोलन के जरिये आगे बढ़ाने की चेतावनी दी हैं. मानवाधिकार सन्गठन को प्रतिनिधि कविता श्रीवास्तव ने इस प्रकरण में बाड़मेर कलक्टर और एस पी की भूमिका पर सवाल खड़े किये हैं.
अब जरा इन लड़कियों के अभागे पिता की दास्ताँ को सुने. हर पत्थर दिल पिघल जाए. इस अभागे बाप के मुताबिक पिछले 20 माह से वो मर मर कर जिए हैं. उनको अब न्याय नही मिलेगा तो मौत का सहारा लेना पड़ेगा.

इस पूरे मामले के सामने आने के दो दिन बीत जाने के बाद भी कलक्टर और एस पी ने खांप पंचायत के पंचो के ख़िलाफ़ कोई भी कारवाई नहीं की है और न ही पीड़ित लड़कियों का इलाज भी कराने कोई जरूरत  समझी. दो दिन बाद पीड़ित लड़कियों को मानवाधिकार संगठनो ने इलाज के लिए बाड़मेर के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया है. जबकि कानून के मुताबिक दोनों लड़कियों के इलाज के साथ ही पुनर्वास की जिम्दारी भी सरकार की .  लेकिन लगता है वसुंधरा सरकार को इस मामले कोई विशेष रूचि नजर नहीं आ रही है. अब मानवाधिकार संगठनो ने चेतवानी दी है कि इस मामले में समाज के पंचो के साथ ही लापरवाह पुलिस अधिकारियो के खिलाफ भी जल्द कारवाई हो अन्यथा बड़ा आंदोलन किया जाएगा.

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