बाड़मेर। साठ गांवों में आठ माह से नहीं पानी


बाड़मेर। दूर तक फैला रेगिस्तान। 48 डिग्री पार करता पारा। आग की लपटों सी चलती लू। अंगारों की सेज की तरह तपती धोरों की रेत और इस पर एक घड़े पानी के लिए मीलो चलना। सीमा क्षेत्र के लोगोे की मानो यह नीयती बन गया है। सीमा के पहरूए की तरह निवास करने वाले गरीब तबके के इन लोगों के यह हाल इसलिए नहीं है कि सरकार ने यहां पानी का इंतजाम नहीं किया हैबल्कि इस कारण कि आठ माह से स्थानीय जलदाय महकमा करीब साठ गांवों में बनी हौदियों में एक बूंद पानी की आपूर्ति नहीं कर पाया है। ये गांव पाकिस्तान की सीमा से महज पंद्रह से बीस किलोमीटर की दूरी पर है। गांवों में पचास-सौ घरों की आबादी है और इनके पास सैकड़ों की संख्या में मवेशी। लाखों रूपए खर्च कर बनाई गई हौदियां और पहुंची पाइप लाइन सूखी है।कितनी ही बार स्थानीय अधिकारियों से लेकर जिला स्तर तक शिकायत पहुंचाई लेकिन नक्कारखाने में तूती की तरह इनकी सुनवाई नहीं हो रही है।

भला हो बेरियों

काइन लोगों के लिए प्राकृतिक वरदान है कि इन धोरा धरती में बेरियां बनी हुई है जिनमें पीने लायक पानी है। पेयजल के लिए मीलों सफर कर ग्रामीण महिला पुरूष भीषण गर्मी में यहां पहुुंचकर पानी ला रहे हैं।

यह है हाल

सीमावर्ती खलीफे की बावड़ी से हापिया, गडस, पनिया, मठाराणी मेघवाल, मईयाणी, सरगुवाला, द्राभा, ढेढोकरी, बालाकर, मेहू की ढाणी में आठ माह से पानी नहीं आया है। इसी तरह बेरिला फांटा से बोई, करनाणी, नूराणी, अभजी का पाड़ा, मोडड़ी, सहदाद का पार खुर्द, बाड़मेरों की हौदी, गेलड़ों की होदी, नाथूसिंह की हौदी में पानी की आपूर्ति करीब आठ माह से नहीं हो रही है।बोई से आगे भी यही हाल है।

विकल्प भी चिढ़ाने वालापानी की आपूर्तिनहीं होने पर सरकारी स्तर पर पानी के टे्रक्टर के टैंकर कई गांवों में शुरू किए। एक दर्जन से अधिक गांवों में टैंकर पहुंचे ही नहीं हैं। एक टैंकर पानी गांव में पूरे नहीं पड़ता। यह भी पंद्रह दिन में एक बार आता है।

कोई नहीं सुनता कितनी ही बार अधिकारियों को बता दिया,कोई नहीं सुनता। जिला मुख्यालय 135 किलोमीटर दूर है। ये लोग जहां रहते है वहां दुरूह जिंदगी है। पानी तो होना ही चाहिए। - इशाक खां, जिला परिषद सदस्य

नहीं आ रहा पानी

   लंबे समय से पानी नहीं आ रहा है। गर्मियों में पानी की किल्लत से लोगों की हालत खस्ता है।- मानसिंह नोहडियालासर्दियों में आ रहा था पानी सर्दियों में मैं गया था,तब तो पानी आ रहा था।अभी आपूर्ति नहीं हो रही है।टैंकर से व्यवस्था की है। लोग अवैध कनेक्शन कर लेते हैँ। पाइप लाइन उखाड़ ली है, क्या करें।हम तो हार गए है। - शिवजीराम, अधिशासी अभियंता राइजेप

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