जालोर। गर्मी में हलक से दूर नीर!


जालोर। गर्मी का असर बढ़ते ही शहर में पेयजल का संकट बढ़ गया है। लोगों को हलक तर करने के लिए टैंकरों के मुंह मांगे दाम चुकाने पड़ रहे हैं। सरकारी नीर शहर के बाशिंदों की हलक से दूर होता जा रहा है। ऎसे में शहर "जल माफिया" के जाल में जकड़ता जा रहा है। कॉलोनियों के हर परिवार को प्यास बुझाने के लिए महीने के 500 से 1000 रूपए तक चुकाने पड़ रहे हैं। कहने को तो जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की ओर से शहर में जलापूर्ति का दावा किया जा रहा है, लेकिन हकीकत कोसो दूर है। विभागीय दावों के मुताबिक शहर में तीन-चार दिन के अंतराल से जलापूर्ति हो रही है। विभाग की ओर से मांग से चौथाई पानी ही सप्लाईकिया जा रहा है। शहर में प्रतिदिन करीब 81 लाख लीटर पानी की आवश्यकता रहती है। जबकि विभागीय जल स्रोतों से प्रतिदिन करीब 22 से 25 लाख लीटर पानी का ही उत्पादन हो रहा है। जलापूर्ति गड़बड़ाने से कई मोहल्लों में करीब एक सप्ताह के अंतराल से जलापूर्तिहो रही है। रामदेव कॉलोनी, आदर्शकॉलोनी, बापू नगर, किले की घाटी सहित कई मोहल्लों के बाशिंदे पानी की समस्या से परेशान है। विभागीय अधिकारियों का कहना हैकि नर्मदा नहर का पानी आने के बाद ही पानी की समस्या का स्थाई समाधान हो सकता है।60 लाख ली. प्रतिदिन की आवश्यकताविभाग की ओर से प्रतिदिन 135 लीटर प्रति व्यक्ति जलापूर्ति का मापदंड तय किया गया है। इसके बावजूद शहर में विभाग की ओर से 40 लीटर प्रतिदिन व्यक्ति के अनुपात से जलापूर्ति की जा रही है। शहर में करीब 60 हजार की जनसंख्या के लिए 81 लाख लीटर पानी की आवश्यकता रहती है।कार्मिकों का टोटाविभाग में अधिकांश कार्मिकों के पद रिक्त है। ऎसे में भी जलापूर्ति की व्यवस्था प्रभावित हो रही है। विभाग में बैलदार के 18 पद स्वीकृत है, लेकिन 15 पद रिक्त है। ऎसे में पाइप लाइन क्षतिग्रस्त होने के समय गड्ढे खोदने सहित अन्य कार्य प्रभावित होते हैं। विभाग को अन्य कार्मिकों को इस कार्य में लगाना पड़ता है। जिससे रिजर्वर केन्द्रों से जलापूर्ति प्रभावित हो रही है।टैंकर वसूलते हैं अधिक दामगर्मी के साथ बढ़ रही पेयजल किल्लत जल माफियों के लिए टकसाल बन रही है। एक ओर जन स्वास्थ्य अभियंात्रिकी विभाग समय पर जलापूर्ति नहीं कर पा रहा है, वहीं दूसरी ओर जल माफिया मुंह मांगे दाम वसूल जल उपलब्ध करा रहे हैं। शहर के बाशिंदों का कहना हैकि पानी के एक टैंकर के करीब चार सौ से साढ़े पांच सौ रूपए देने पड़ रहे हैं।बूस्टर से खींचते पानीशहर में जलापूर्ति के दौरान कुछ लोग बूस्टर लगा कर पानी खींच लेते हैं। ऎसे में ऊपरी भाग में पानी नहीं पहुंच पाता है। वहीं बूस्टर नहीं लगाने वाले लोगों को भी पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है।तीन रिजर्व केन्द्रजन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की ओर से शहर के आस-पास ग्रामीण क्षेत्र में जल स्रोत बनाए गए हैं। विभाग की ओर से रणछोड़नगर में 17 व कुआबेर में 10 ट्यूबवैल बनाए गए हैं। जहां से सर्विस रिजर्व केन्द्र से शहर में जलापूर्ति की जाती है। इसके लिए तासखाना बावड़ी, गोविंदगढ़, कालका माता मंदिर के पास रिजर्व केन्द्र बनाए गए हैं। वहीं गोडीजी व एफसीआई में पानी की टंकी बनाई गई है।सरकारी गणितजन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की ओर से प्रतिदिन 22 से 25 लाख लीटर जल उत्पादन किया जा रहा है। यह भी नियमित बिजली आपूर्ति पर ही संभव है। अन्यथा पानी का उत्पादन घट जाता है। जबकि शहर में प्रतिदिन करीब 81 लाख लीटर पानी की आवश्यकता रहती है। ऎसे में विभाग की ओर से करीब 72 घंटे के अंतराल में जलापूर्ति का दावा किया जा रहा है।नर्मदा ही स्थायी समाधान शहर में तीन से चार दिन के अंतराल से जलापूर्तिकी जा रही है। मांग के अनुरूप पानी का उत्पादन नहीं होने से समस्या आ रही है। अब नर्मदा नहर का पानी आने के बाद ही पेयजल समस्या का स्थाई समाधान संभव हो सकेगा। वहीं टीम बनाकर बुस्टर से पानी खींचने वालों के खिलाफ कार्रवाईकी जाएगी।-गोपालशंकर गुप्ता, सहायक अभियंता, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, नगर उपखण्ड, जालोर

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