जालोर। प्रबंध है न कोई सुविधा!


जालोर। डोडा-पोस्त पर सरकारी सख्ती व मांग के अनुरूप अधिकृत दुकानों पर आपूर्ति नहीं होने से नई पीढ़ी के कई नशेड़ी डोडा की लत से छुटकारा पाना चाहे, तो भी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। हालांकि, जोधपुर जिले के माणकलाव में नशामुक्ति केन्द्र संचालित किया जा रहा है। लेकिन जालोर, बाड़मेर, जैसलमेर, पाली, सिरोही में नशामुक्ति का कोई बड़ा केन्द्र नहीं है।

केन्द्र सरकार के अनुदान पर जालोर के कस्तुरबा कॉलोनी में एनजीओ के माध्यम से नशा मुक्ति केन्द्र का संचालन किया जा रहा है, लेकिन यह केन्द्र महज औपचारिकता में चल रहा है। जबकि, नशा मुक्ति अभियान से जुड़ने पर केन्द्र सरकार की ओर से चिकित्सक व कम्पाउंडर को पांच-पांच हजार रूपए एवं भवन किराया के लिए 5500 रूपए दिए जाते हैं।

प्रयास नहीं

सरकारी स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों में जन जागरूकता का कोई प्रयास नहीं किया गया। जिले में अब तक नशा मुक्ति को लेकर कोई शिविर भी नहीं लगाए गए।

 नियंत्रित करना होता है मुश्किल चिकित्सा विभाग के अस्पतालों में नशा मुक्ति के लिए कोई प्रबंध नहीं है। सामान्य अस्पताल में नशे की लत छुड़वाना संभव नहीं हो पाता है। क्योंकि नशा छोड़ने वाला पहले और दूसरे सप्ताह में असामान्य हो जाता है, जिसे नियंत्रित करना मुश्किल होता है।

करते हैं पड़ोसी प्रदेश का रूख

जिले सहित आस-पास के क्षेत्र में केन्द्र नहीं होने से कई नशेडियों के परिजन पड़ौसी प्रदेश गुजरात का रूख करते हैं। गुजरात के डीसा, धानेरा में निजी चिकित्सालयों में नशा छोड़ने की दवाइयां दी जाती है। ऎसे में नशा के छोड़ने के लिए प्रेरित होने वाले कुछ लोग 12-15 दिन गुजरात के चिकित्सालय में भर्ती रहकर नशा छोड़कर गांव लौटते हैं, लेकिन इनमें से कई फिर से संगत में पड़ कर अफीम-डोडा दूबारा लेना शुरू कर देते हैं।

केन्द्र है सुविधा नहीं

जालोर जिला मुख्यालय पर एक एनजीओ के माध्यम से नशा मुक्ति केन्द्र का संचालन किया जा रहा है, लेकिन इस केन्द्र पर अधिकांश समय ताला लटका रहता है। सरकारी अनुदान से संचालित इस केन्द्र के निरीक्षण को लेकर भी प्रशासनिक व विभागीय अधिकारी उदासीन हैं।

यह है आवश्यकतान

शामुक्ति के लिए एक फिजिशियन के साथ दो-तीन चिकित्सा कर्मचारियों की जरूरत होती है। ये मरीज का करीब 15 से 20 दिन तक अपनी देखरेख में दवा देकर नशा छुड़वाते है। नशे की प्रवृत्ति को छोड़ने के लिए दवाइयां देने के साथ निगरानी मुख्य है। नशा मुक्ति केन्द्र संचालन के लिए केन्द्र सरकार से अनुमति लेनी होती है, जो सामान्य प्रक्रिया पूरी करने वाले एजीओ को जारी कर दी जाती है।

अलग से नहीं प्रबंध

 जिले में नशा मुक्ति को लेकर चिकित्सालयों में अलग से कोई प्रबंध नहीं है। यदि कोई फिजिशियन के पास आता है, तो चिकित्सक परामर्श व दवाइयां देते हैं।-डॉ. डी.सी. पुंसल, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जालोर

निरीक्षण करेंगे

 केन्द्र सरकार के अनुदान पर जिला मुख्यालय पर केन्द्र का संचालन किया जा रहा है। यहां निर्घारित सुविधाओं में कमी है, तो निरीक्षण कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।-डॉ. बी.एल. सारस्वत, जिला परिवीक्षा एवं समाज कल्याण अधिकारी, जालोर

Post a Comment

और नया पुराने