बाड़मेर। कॉलेज का कलेजा छोटा, कतार बड़ी


बाड़मेर। शिक्षा की दृष्टि से जिले का पिछड़ापन दूर नहीं हो रहा है। अवसर नहीं मिलने से पढ़ाईछोड़ना या स्वयंपाठी के रूप में अध्ययन मजबूरी बना हुआ है। इस वर्ष बारहवीं कक्षा में विज्ञान, वाणिज्य और कला संकाय में जिले के 12016 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए हैं लेकिन इनमें से करीब दो हजार विद्यार्थियों को ही जिले के चार सरकारी महाविद्यालयों में पढ़ने का अवसर मिल पाएगा। बाड़मेर जिला मुख्यालय और बालोतरा उपखण्ड मुख्यालय पर ही सरकारी महाविद्यालय हंै। इसके अलावा अन्यत्रकहीं परभी सरकारी स्तर पर सुविधा नहीं है। मजबूरन गैर सरकारी महाविद्यालयों में पढ़ना मजबूरी है। सरकारी महाविद्यालयों में भी विद्यार्थियों को अपनी पसंद के विषय नहीं मिल रहे हैं।

क्या है मांग

मौजूदा चारों महाविद्यालयों में ऎच्छिक विषयो की संख्या बढ़ाने के साथ ही सीट की संख्या बढ़ाई जाए। उपखण्ड स्तर पर राजकीय महाविद्यालय खोले जाएं ताकि उस क्षेत्र के विद्यार्थियों को पलायन नहीं करना पड़े।

शहरों में रहना महंगा

सिवाना, समदड़ी, गडरारोड, शिव, सिणधरी, रामसर, चौहटन, धोरीमन्ना, गुड़ामालानी सहित जिले के दूरस्थ इलाकों से बाड़मेर- बालोतरा आने वाले विद्यार्थियों के लिए यहां रहना भी अब महंगा हो गया है। दो-ढाई हजार से कम में कमरा नहीं मिलता। कॉलेज विद्यार्थी कहते हंै मकान मालिक उन्हें जगह नहीं देते। इसके बाद खाना, रहना और आना- जाना हर माह पांच से सात हजार का खर्च हो जाता है।ऎसे में गरीब परिवारों के बेेटे पढ़ाई छोड़ना या स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में पढ़ना ही चुन रहे है।

बीस हजार में डिग्री

जिले में धोरीमन्ना, चौहटन, गुड़ामालानी, बाड़मेर व बायतु में छह निजी महाविद्यालय हैं। सरकारी में जगह नहीं मिलने पर विद्यार्थी इन महाविद्यालयों में दाखिला लेते हैं, जहां सालभर के छह से आठ हजार रूपए शुल्क लग जाता है। तीन साल के करीब बीस हजार रूपए महाविद्यालय शुल्क के ही लग जाते है।

ये हैं हालात

राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बाड़मेरमहाविद्यालय में तीन संकाय कला,वाणिज्य और विज्ञान है। कला संकाय में 540 सीट है।विज्ञान में 270 और वाणिज्य में 160 सीट है। कला संकाय में राजनीतिविज्ञान, इतिहास, अर्थशास्त्र, दर्शनशास्त्र, हिन्दी साहित्य, भूगोल, अंग्रेजी साहित्य, संस्कृत विषय है। स्नातकोत्तर में कला में राजनीति विज्ञान और इतिहास दो ही विषय है। एमएससी व एमकॉम की सुविधा है।

राजकीय स्नातक महिला महाविद्यालय बाड़मेर

इस महाविद्यालय में तीनों संकाय कला,वाणिज्य व विज्ञान हैं। प्रथम वर्ष में वाणिज्य में 80, विज्ञान में 70 और कला में 240 सीट है। कला संकाय में इतिहास, राजनीति विज्ञान, हिन्दी साहित्य और दर्शनशास्त्र पांच विषय हैं। पांच ही विषय होने के कारण विद्यार्थियों को न चाहते हुए भी दूसरे विषय लेने पड़ते हैं।जो अपने पसंद के विषय ही चुनना चाहते हैं उन्हें फिर प्राइवेट अध्ययन करना पड़ रहा है।

राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बालोतरा

यहां वाणिज्य और कला दो ही संकाय हैं। विज्ञान विषय प्रारंभ ही नहीं किया गया है। कला में 320 और वाणिज्य में 160 सीट है। कला में इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र चार विषय ही है। ऎसे में ऎच्छिक विषय अपनी पसंद के विद्यार्थी चुन ही नहीं पा रहे है। कला में केवल एक विषय राजनीति शास्त्र और वाणिज्य मे लेखाशास्त्र में ही एमकॉम की सुविधा है।

राजकीय स्नातक महिला महाविद्यालय बालोतरा

इस महाविद्यालय में वाणिज्य, कला और विज्ञान तीनों संकाय हैं। वाणिज्य में 160 व कला संकाय में भी 160 सीट हैं। विज्ञान में 70 सीट हैं। कला संकाय में राजनीति विज्ञान, हिन्दी साहित्य, गृह विज्ञान, अंग्रेजी साहित्य व अर्थशास्त्र पांच विषय ही हैं। ऎसे में ऎच्छिक विषय नहीं मिलने से मजबूरी में दूसरे विषय लेने पड़ते हैं।

जिले में महाविद्यालय स्तर पर विषय पढ़ने चाहिए और सरकारी महाविद्यालयों की संख्या भी अब बढ़नी चाहिए।-भोमसिंह बलाई, छात्र

बाड़मेर, बालोतरा के अलावा शिव, गुड़ामालानी, चौहटन और सिवाना में भी सरकारी महाविद्यालय होने चाहिएं।- रघुवीरसिंह तामलौर, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष

बेटियों की पढ़ाई के लिए जरूरी है कि महाविद्यालय में सीटें बढें और विषय भी बढ़ाए जाएं।-कीर्तिका चौहान, पूर्व अध्यक्ष छात्रसंघ

महाविद्यायल परिसर बड़ा है और यहां पर स्नातक के साथ स्नातकोत्तर विषय भी होने चाहिए।- ममता मंगल, सामाजिक कार्यकर्ता

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