'करीबी के घूस लेते अरेस्ट होने से नाराज सैमसन ने दिया सेंसर बोर्ड से इस्तीफा'

जयपुर। कामकाज में सरकारी दखल और बोर्ड में भ्रष्टाचार व्याप्त होने का आरोप लगाकर इस्तीफा देने वालीं सेंसर बोर्ड की चेयरपर्सन लीला सैमसन पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने पलटवार किया है। उन्होंने लीला के आरोपों को पूरी तरह गलत और बेबुनियाद बताया है। राठौड़ ने संकेत दिए कि केंद्र सरकार जल्द ही सेंसर बोर्ड में अध्यक्ष समेत नए सदस्यों की नियुक्ति करने जा रही है। राठौड़ ने बाबा राम रहीम की फिल्म 'एमएसजी-मैसेंजर ऑफ गॉड' को लेकर सेंसर बोर्ड पर दबाव बनाने के आरोपों को खारिज किया। राठौड़ ने बताया कि इससे पहले, 'हैदर' और 'पीके' की रिलीज में भी सेंसर बोर्ड पर दबाव बनाए जाने की खबरें आई थीं, जो बेबुनियाद हैं। राठौड़ ने कहा कि लीला सैमसन ने भ्रष्टाचार के जो आरोप लगाए हैं, वे राजनीति से प्रेरित हैं। राठौड़ के मुताबिक, लीला के कार्यकाल में उनका एक पसंदीदा अधिकारी घूस लेते हुए सीबीआई के हाथों पकड़ा गया था। ऐसे में, समझा जा सकता है कि वे आरोप किस कारण से लगा रही हैं। दैनिक भास्कर ने राठौड़ से विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की। 
सवाल: क्या 'मैसेंजर ऑफ गॉड' फिल्म पर रोक लगेगी?
राठौड़: सरकार फिल्म की रिलीज में कोई दखल नहीं देती। सेंसर बोर्ड की आपत्ति के बाद इस फिल्म के प्रोड्यूसर फिल्म प्रमाणन अपीलीय प्राधिकरण में गए हैं। प्राधिकरण के चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज हैं। सर्टिफिकेशन के समय ट्रिब्यूनल राष्ट्रीय सुरक्षा और सभी धर्मों के सम्मान और देश की अखंडता को ध्यान में रखते हुए अनावश्यक दृश्यों में कांट-छांट या कुछ जोड़ने या घटाने के आदेश दे सकता है। 

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