भारत-जापान में करार क्योटो के तर्ज पर विकसित होगी काशी

क्योटो। भूटान, ब्राजील और नेपाल
का दिल जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी शनिवार दोपहर डेढ़ बजे जापान के
ओसाका एयरपोर्ट पहुंचे।
वहां प्रधानमंत्री का भव्य स्वागत
किया गया। इस अवसर पर
उनकी अगवानी के लिए जापान के
प्रधानमंत्री शिंजो अबे भी वहां मौजूद थे।
इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी आध्यात्मिक
नगरी क्योटो पहुंचे। यहीं भारत
की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक
नगरी काशी को क्योटो की तर्ज पर
विकसित करने का दोनों देशों के बीच
करार हुआ। क्योटो के मेयर और भारत के
राजदूत ने इस पर हस्ताक्षर किए।
नरेंद्र मोदी की इस पांच दिवसीय जापान
यात्रा से दोनों देशों को काफी उम्मीदें
हैं। मोदी के इस दौरे से उम्मीद
की जा रही है कि वे
का नया पैमाना गढ़ेंगे।
भारत-जापान के रिश्तों पर होने वाले
वार्ता से पहले ही यह स्पष्ट कर
दिया गया है कि भारत अपने परमाणु
सिद्धांतों की समीक्षा नहीं करेगा। इस
दौरान होने वाली वार्ता में
दोनों देशों के बीच ढांचागत विकास के
मुद्दे पर अधिक जोर दिया जाएगा। इसके
अलावा उम्मीद यह भी है
कि दोनों देशों के बीच रक्षा और परमाणु
ऊर्जा पर भी कोई समझौता हो जाए।
साथ ही जापान से एफडीआइ दोगुना करने
की भी कोशिश करेंगे। पांच दिन की इस
यात्रा में
प्रधानमंत्री मोदी पुरानी दोस्ती का रंग
और गहरा करेंगे।
भारत के पास जमीन है और जापान के पास
तकनीक। मोदी इसे जोड़कर मेड इन
इंडिया का सपना पूरा करने में कोई कसर
नहीं छोड़ेंगे।
नेपाल और भूटान की तरह मोदी जापान
का दिल भी जीतना चाहेंगे। जापान के
प्रधानमंत्री शिंजो अबे
को जापानी भाषा में ट्वीट करके उन्होंने
इसकी शुरुआत पहले ही कर दी थी।
भारत के प्रधानमंत्री और उनके साथ गए
उद्योगपतियों के शिष्टमंडल से जापान और
भारत दोनों को ही काफी कुछ हासिल
करना है। दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं
एक-दूसरे की पूरक हैं, जहां जापान में
संपन्नता और तकनीकी सामर्थ्य है।
वहीं भारत में प्राकृतिक संसाधन और
अपनी अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने
की क्षमता है।

Post a Comment

और नया पुराने