बाड़मेर। खुद प्यासे रहकर जवानों ने पौधों को दिया पानी, रेगिस्तान में छाई हरियाली

बाड़मेर। सरहद पर रेगिस्तान में हरियाली का ख्वाब हकीकत में बदलने के लिए बीएसएफ ने मुहिम शुरू कर रखी है। सरहद पर तैनात जवान अपने लिए मिलने वाले पीने के पानी में से बचाकर खुद के लगाए पौधों को सींच रहे हैं। 

 
गडरा फॉर्वर्ड में तैनात अधिकारियों और जवानों के सार्थक प्रयासों से परिसर में हरियाली सुकून दे रही हैं। ये पौधे जवानों ने ही लगाएं हैं और पौधा लगाने वाले जवान को ही उसकी देखभाल और सींचने (पानी देने) का जिम्मा दिया गया है। रेगिस्तानी इलाके में, जहां पारा 50 डिग्री के पार होता है, इन पौधों की सार-संभाल में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी देखने को मिलती है।

 
सीमा पर तैनात जवानों के लिए पेयजल की आपूर्ति टैंकरों से होती है। इसके बावजूद पानी की एक-एक बूंद को सहेजकर रखना फितरत में शुमार है। भीषण गर्मी में पौधों को जिंदा रखना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन जवान अपना फर्ज बखूबी निभा रहे हैं। इन पौधों को पशुओं से बचाने के लिए झाड़ियां काटकर छोटे बाड़े बना रखे हैं।

 
सीमा पर बटालियन बदलती रहती है, लेकिन पौधारोपण और उनके संरक्षण की मुहिम अनवरत जारी है। सीमा की सुरक्षा के साथ पौधों को पानी देना और सहेजना जवानों-अधिकारियों को सुकून देता है। 12 घंटे ड्यूटी करने के बाद जवान श्रमदान करते हैं।
 
                                पेयजल संकट से जूझते हैं बीएसएफ के जवान
 
गुजरात के रण कच्छ से लेकर पंजाब बॉर्डर तक सुरक्षा का जिम्मा संभाल रही बीएसएफ को गर्मी में पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है। बाड़मेर, जैसलमेर में इंदिरा गांधी नहर और नर्मदा नहर का पानी पहुंच गया, लेकिन बीएसएफ के लिए एक भी प्रोजेक्ट मंजूर नहीं हो पाया है। भीषण गर्मी में जवानों के पेयजल की आपूर्ति के लिए बल के टैंकर दौड़ते रहते हैं। इस दौरान ट्यूबवेल खराब होने या बिजली सप्लाई बाधित होने पर जलापूर्ति ठप होने से स्थिति ओर विकट हो जाती है। कमोबेश यह हाल गुजरात से गंगानगर बॉर्डर तक करीब 1040 किलोमीटर लंबी सरहद के हैं। जहां पर पेयजल की समस्या दशकों से नासूर बनी है।
 
                                              सामाजिक सरोकार की पहल
 
बीएसएफ सरहद की रक्षा के साथ सामाजिक सरोकार से जुड़े कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। सरहदी गांवों की स्कूलों में संसाधन मुहैया करवाने के साथ गरीब तबके के विद्यार्थियों को स्कूल ड्रेस, पाठ्य सामग्री भी बांटती है। इसके अलावा नि:शुल्क चिकित्सा शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं। हाल ही में बीएसएफ ने युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रशिक्षण देने की कवायद शुरू की है। इसके माध्यम से युवाओं को बेसिक और शारीरिक क्षमता से संबंधित जानकारी दी जा रही है। इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान के लिए सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं।

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