बाड़मेर। सरहद पर रेगिस्तान में हरियाली का ख्वाब हकीकत में बदलने के
लिए बीएसएफ ने मुहिम शुरू कर रखी है। सरहद पर तैनात जवान अपने लिए मिलने वाले पीने
के पानी में से बचाकर खुद के लगाए पौधों को सींच रहे हैं।
पेयजल संकट से जूझते हैं बीएसएफ के जवान
गुजरात के रण कच्छ से लेकर पंजाब बॉर्डर तक सुरक्षा का जिम्मा संभाल रही
बीएसएफ को गर्मी में पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है। बाड़मेर, जैसलमेर में इंदिरा
गांधी नहर और नर्मदा नहर का पानी पहुंच गया, लेकिन बीएसएफ के लिए एक भी प्रोजेक्ट
मंजूर नहीं हो पाया है। भीषण गर्मी में जवानों के पेयजल की आपूर्ति के लिए बल के
टैंकर दौड़ते रहते हैं। इस दौरान ट्यूबवेल खराब होने या बिजली सप्लाई बाधित होने पर
जलापूर्ति ठप होने से स्थिति ओर विकट हो जाती है। कमोबेश यह हाल गुजरात से गंगानगर
बॉर्डर तक करीब 1040 किलोमीटर लंबी सरहद के हैं। जहां पर पेयजल की समस्या दशकों से
नासूर बनी है।
सामाजिक सरोकार की पहल
बीएसएफ सरहद की रक्षा के साथ सामाजिक सरोकार से जुड़े कार्यों में भी
महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। सरहदी गांवों की स्कूलों में संसाधन मुहैया करवाने
के साथ गरीब तबके के विद्यार्थियों को स्कूल ड्रेस, पाठ्य सामग्री भी बांटती है।
इसके अलावा नि:शुल्क चिकित्सा शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं। हाल ही में बीएसएफ
ने युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रशिक्षण देने की कवायद शुरू की है। इसके
माध्यम से युवाओं को बेसिक और शारीरिक क्षमता से संबंधित जानकारी दी जा रही है।
इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान के लिए सार्थक प्रयास किए जा
रहे हैं।
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