‘पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी को करनी होगी पहल’

‘पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी को करनी होगी पहल’
पर्यावरण दिवस पर भरा मेला, पेड़ों के संरक्षण के लिए बांधा रक्षासूत्र, युवाओं ने पौधों को विकसित करने का संकल्प

विश्व पर्यावरण दिवस पर निकटवर्ती धमाणा का गोलिया स्थित अमृतादेवी विश्नोई उद्यान में पर्यावरण मेले का आयोजन कर पर्यावरण शुद्धि यज्ञ के साथ पेड़ पौधों को बचाने का संकल्प लिया गया।

इस अवसर पर पर्यावरण प्रेमियों को संबोधित करते हुए विधायक सुखराम विश्नोई ने कहा कि विश्व में पर्यावरण को बचाने के लिए जहां पूरे विश्व में चिंता जताई जा रही है। वहीं हमारे देश में गुरू महाराज जांभोजी ने आज से साढ़े पांच सौ वर्ष पूर्व पर्यावरण को लेकर दिए संदेश को अपनाने की बात कहते हुए परिवार के प्रत्येक सदस्य से एक एक पौधा लगाने की अपील की थी। मुकाम पीठाधीश्वर स्वामी रामानंद महाराज ने कहा कि बढ़ते प्रदूषण को बचाने के लिए पर्यावरण को संरक्षण देना, पेड़ पौधे लगाना, वन्य जीवों को बचाना मानवता का धर्म हैं। उन्होंने युवाओं से पर्यावरण संरक्षण में आगे आने तथा नशा प्रवृति त्याग जीवन को सुखी बनाकर समाज व पर्यावरण संरक्षण का कार्य करना होगा।

रामरतन विश्नोई ने महिलाओं से पर्यावरण संरक्षण के लिए बालकों को संस्कारवान बनानें के साथ स्वच्छ पर्यावरण व समाज निर्माण बनाने में अपनी जिम्मेदारी निभाने की बात कही। इस दौरान संस्था की स्मारिका का विमोचन किया गया। उद्यान में पेड़ पौधों का लालन-पालन करने वाले रामलाल गुरू व वन्यजीवों की रक्षा एवं चिकित्सा सेवा करने वाले पीराराम धायल को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन लक्ष्मण विश्नोई ने किया। संस्थान के जिलाध्यक्ष हीरालाल गोदारा ने सभी का आभार जताया। इस अवसर पर अमृता देवी स्मृति उद्यान के अध्यक्ष सुजाराम विश्नोई, महंत सुखदेव मुनी, गंगाराम पूनिया, गंगानगर से विजयसिंह भादू, मनोहरलाल कड़वासरा हनुमानगढ, श्री जम्भेश्वरव पर्यावरण एवं जीवरक्षा प्रदेश संस्था के प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद धारणिया, सूरज विश्नोई, प्रदेश महामंत्री अनिल धारणिया, बीकानेर जिलाध्यक्ष हनुमान दिलोइया, मंत्री रामकिशन डेलु, नागौर जिलाध्यक्ष मांगीलाल भादू, भानुसिंह सियाग, अनोपाराम डूडी, कानाराम लेघा, कल्याण सिरवी सहित बड़ी संख्या में पर्यावरण प्रेमी मौजूद रहे।

॥पेड़ों को बचाने के लिए मैने अपनी मम्मी के साथ पेड़ पर रक्षा सूत्र बांध उनके पालन पोषण का जिम्मा लिया है, पेड़-पौधों से ही हम



महिलाएं बांधेंगी पेड़ को राखी, परिवार का हर सदस्य लेगा पर्यावरण सरंक्षण का संकल्प


मिट्टी, पहाड़ व पानी बिना पर्यावरण संरक्षण बेमानी


सरकार को सहयोग करना चाहिए

पर्यावरण को बचाने के लिहाज से धमाणा गोलिया में हजारों की संख्या में पेड़ पौधे लगाने के साथ पर्यावरण को बढावा देने के लिये गांव में अमृता देवी उद्यान को विकसित किया गया है। उद्यान में आज करीब 6 हजार से ज्यादा संख्या में पौधे शीतल छाया के साथ हरीतिमा फैलाए हुए है। पर्यावरण को बढावा देने के लिये बनाए जाने वाले उद्यान के लिए सरकार को सहयोग करना चाहिए। -सूजाराम विश्नोई, अध्यक्ष अमृता देवी स्मृति पर्यावरण संस्थान धमाणा गोलिया।

पीराराम धायल

घायल वन्यजीवों की पीड़ा दूर करता है पीराराम

सांचौर. पर्यावरण संरक्षण के साथ साथ क्षेत्र में घायल वन्यजीवों का अपने स्तर पर इलाज करने वाले पीराराम अपने स्तर पर इलाज कर उनकी पीड़ा दूर कर जीवदया के तहत अनुकरणीय सेवा कर रहे हैं। बकौल पीराराम पिछले एक वर्ष से वे अमृतादेवी उद्यान के एक कोने में रेस्क्यू सेंटर बना जानवरों का इलाज करने के बाद उन्हें स्वस्थ होने तक पार्क में ही रखा जाता है। इसके बाद वनविभाग की सहायता से जंगल में छोड़ दिया जाता है। अभी तक उन्होंने क्षेत्र में शिकारी कुत्तों या सड़क दुर्घटना में घायल हुए चिंकारा हिरण, मोर, खरगोश तथा नीलगाय जैसे वन्यजीवों का इलाज कर उन्हें फिर से चंगा किया है। उद्यान में वन्यजीवों के लिए चारा, पानी व चौकीदारी की व्यवस्था पर्यावरण प्रेमियों के स्तर पर की हुई है।

-पीराराम धायल, पर्यावरण प्रेमी

विगत 10 वर्षों की औसत वर्षा (मिमी)

वर्ष जालोर भीनमाल जसवंतपुरा रानीवाड़ा

2002 171.2 141 363 171

2003 660.6 717.4 630.7 762

2004 314.2 335 225 395

2005 320.6 484.4 615 457

2006 713.2 1031 933 935

2007 368 455 482.4 398

2008 343.6 383 466 467.6

2009 198.6 216 180 239

2010 534.8 733 1035 1225

2011 582.4 756 773 820

योग 4207.2 5231.8 5703.1 5869.6

औसत 420.72 525.18 570.31 586.96

वर्षा

जिले में वर्षा कम होती है,सामान्य मानसून की स्थिति में सालभर में औसतन413 मिलीमीटर बारिश होती है। सामान्यतया मानसून जून माह के अंतिम सप्ताह तक आता है तथा 15 अगस्त तक सक्रिय रहता है। औसतन वर्षभर में 30 तीन बरसात के होते हैं।

ञ्च जिले में प्रचुर मात्रा में भरी हैं खनिज व जैविक संप

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