जालोर। कागजों में अटकी लाडली की सहायता


जालोर। लाडली बिटिया के विवाह के लिए श्रमिक तबके को सरकारी सहायता मुहैया कराने की मंशा से शुरू की गई मजदूर पुत्री विवाह सहायता योजना कागजी शेर बनकर रह गई है। आलम यह है कि आवेदकों को बिटिया के विवाह पर राशि मिलना तो दूर, विवाह होने के बाद भी सहायता नहीं मिल पाई है। बजट के अभाव में अकेले जालोर जिले में ऎसे 100 आवेदन लम्बित चल रहे हैं, जिन्हें सहायता राशि मुहैया नहीं कराई जा सकी है। दरअसल, भवन निर्माण एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड राजस्थान की ओर से पंजीकृत श्रमिकों की पुत्रियों के विवाह पर "मजदूर पुत्री विवाह सहायता योजना" के तहत 51 हजार रूपए दिए जाने का प्रावधान है। इसके लिए श्रमिक को पुत्री के विवाह से तीन महीने पहले आवेदन करने होता है। इसके अलावा विवाह से एक माह तक आवेदन किया जा सकता है, बशर्ते साथ में विवाह पंजीयन प्रमाण-पत्र संलग्न हो। विवाह सहायता योजना के तहत जिले के करीब 100 मजदूरों ने आवेदन किए, जो करीब दस महीनों से लम्बित पड़े हैं। स्थिति यह है कि गरीब श्रमिकों के पास प्रतिदिन मजदूरी के अलावा और कोई आय का साधन नहीं है। ऎसे में शादी का कर्जा चुकाने को लेकर श्रमिकों के सामने विकट स्थिति हो रही है। स्वयं भी हो सकती है लाभान्वितराज्य सरकार की ओर से असंगठित क्षेत्र के पंजीकृत श्रमिकों के लिए श्रम विभाग एवं भवन व अन्य संनिर्माण श्रमिक कल्याण मण्डल के माध्यम से पुत्री के विवाह के लिए सहायता देने की योजना है। इसमें मण्डल में पंजीकृत किसी भी हिताधिकारी की पुत्री के विवाह एवं महिला हिताधिकारी के स्वयं के विवाह के लिए 51 हजार रूपए की आर्थिक सहायता दी जाती है। इसके लिए हिताधिकारी की पुत्री की आयु कम से कम 18 वर्ष होना आवश्यक है। यह सहायता अधिकतम दो पुत्रियों के लिए दी जाती है।बजट के लिए लिखा बजट स्वीकृत नहीं होने से जिले में करीब 100 आवेदन लम्बित हैं। ऎसे में बजट के लिए उच्चाधिकारी को लिखा गया है। बजट मिलने के बाद आवेदनों पर स्वीकृति जारी कर दी जाएगी।-राधेश्याम वैष्णव, जिला श्रम कल्याण अधिकारी, जालोर

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