बाड़मेर। सिर्फ कर्नल सोनाराम रहे भाग्यशाली

बाड़मेर। राजस्थान में इस बार लोकसभा चुनाव में करीब दस नेताओं ने अपना स्थान एवं पार्टी बदलकर चुनाव लड़ा लेकिन इनमें भारतीय जनता पार्टी के कर्नल सोनाराम ने ही अपना दबदबा कायम किया।

राज्य में हाल में सम्पन्न सोलहवीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए कर्नल सोनाराम ने बाड़मेर से चुनाव जीता। इससे पहले सोनाराम वर्ष 1996 से 99 तक लगातार तीन बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा ने अपना चुनाव क्षेत्र सवाईमाधोपुर से बदलकर इस बार दौसा से अपने भाई एवं भाजपा प्रत्याशी हरीश चन्द्र मीणा के सामने चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। इसी तरह पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. सीपी जोशी ने भी अपना चुनाव क्षेत्र भीलवाड़ा से बदलकर जयपुर ग्रामीण से चुनाव मैदान में आए लेकिन वह भी भाजपा उम्मीदवार राज्यवर्धन सिंह राठौड़ से चुनाव हार गए। डा. जोशी ने वर्ष 2009 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में भीलवाड़ा से चुनाव जीता था।

पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री जसंवत सिंह एवं सुभाष महरिया ने भी पार्टी से टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बाडमेर एवं सीकर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें मोदी लहर के आगे सफलता नहीं मिली। सिंह ने वर्ष 1989 में जोधपुर से तथा इसके बाद वर्ष 1991 एवं 1996 में चित्तौड़गढ़ से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतकर अपना दबदबा कायम किया था जबकि महरिया ने वर्ष 1998 से 2004 तक लगातार तीन बार भाजपा के टिकट पर सीकर क्षेत्र से जीत दर्ज की थी।

इसी तरह पूर्व सांसद एवं भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन ने भी इस बार अपना चुनाव क्षेत्र बदलकर टोंक-सवाईमाधोपुर संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा लेकिन वह भी मोदी लहर की भेंट चढ़ गए। अजहरूद्दीन ने वर्ष 2009 में उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद से चुनाव जीतकर सांसद बने थे।

इसके अलावा वर्ष 1989 में भाजपा के टिकट पर सवाईमाधोपुर एवं वर्ष 2009 में दौसा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सांसद बने डॉ. किरोडीलाल मीणा ने इस बार नेशनल पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा लेकिन वह भी दौसा से हार गए। इसी तरह वर्ष 1998 में चित्तौड़गढ़ से कांग्रेस सांसद रहे उदयलाल आंजना को पार्टी ने इस बार जालौर से चुनाव लड़ाया था और हार गए।

इसी प्रकार कांग्रेस नेता रहे अभिनेष महर्षि ने इस बार बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुरू संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंचने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हो सके।

अब तक हुए सोलह लोकसभा चुनावों में कई नेताओं ने स्थान एवं दल बदलकर चुनाव लड़ा जिसमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री नाथूराम मिर्धा नागौर जिले से वर्ष 1971 एवं 1977 में कांग्रेस तथा वर्ष 1980 में कांग्रेस यू के टिकट पर चुनाव जीता। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1989 में जनता दल के प्रत्याशी के रूप में लोकसभा पहुंचे। वर्ष 1991 एवं 1996 में फिर कांग्रेस के टिकट पर विजयी रहकर क्षेत्र में सर्वाधिक छह बार चुनाव जीतकर आखिरी दम तक अपना दबदबा कायम रखा।

इसी तरह पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजेश पायलट ने राज्य में सबसे पहले वर्ष 1980 में भरतपुर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव जीता। इसके बाद पायलट ने स्थान बदलकर वर्ष 1984, 1996 से 1999 तक दौसा संसदीय सीट पर चुनाव जीतकर चार बार सांसद रहे। वह राज्य से कुल पांच बार लोकसभा पहुंचे।

हरियाणा के राज्यपाल जगन्नाथ पहाडिया भी वर्ष 1957 में कांग्रेस के टिकट पर सवाई माधोपुर से चुनाव जीतने के बाद अपना चुनाव क्षेत्र बदलकर वर्ष 1967, 1971 एवं 1980 में बयाना लोकसभा संसदीय सीट से चुनाव जीतकर अपना दबदबा कायम किया। 

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ ने सीकर से 1984 एवं 1991 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतने के बाद अपना चुनाव क्षेत्र बदला और वर्ष 1998 में बीकानेर संसदीय क्षेत्र से चुनाव में विजयी होकर अपना दबदबा कायम किया।

पंजाब से चार बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने के बाद राजस्थान आए पूर्व केन्द्रीय मंत्री बूटा सिंह ने वर्ष 1984 में जालोर संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतने के बाद वर्ष 1991 का चुनाव भी जीता लेकिन उन्होंने वर्ष 1998 में टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय के रूप में चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। इसके बाद वह वर्ष 1999 में फिर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता। हालांकि इस बार वह निर्दलीय के रूप में जालोर से आठवीं बार चुनाव लड़ा लेकिन हार गए।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष रामनिवास मिर्धा ने भीनागोर से बाड़मेर अपना चुनाव क्षेत्र बदलकर लोकसभा चुनाव जीता। मिर्धा ने वर्ष 1984 में नागौर एवं वर्ष 1991 में बाड़मेर संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल की थी। इसी तरह पूर्व केन्द्रीय मंत्री नवलकिशोर शर्मा वर्ष 1984 में जयपुर से कांग्रेस आई वर्ष 1971 एवं 1980 में दौसा तथा वर्ष 1996 में अलवर से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतकर अपना दबदबा कायम किया।

 पूर्व केन्द्रीय मंत्री गिरिजा व्यास भी वर्ष 1991, 96 एवं 1999 में उदयपुर तथा वर्ष 2009 लोकसभा चुनाव में स्थान बदलकर चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की लेकिन इस बार वहीं से हार गई।


पूर्व केन्द्रीय मंत्री सचिन पायलट ने भी वर्ष 2004 में दौसा एवं वर्ष 2009 में अजमेर संसदीय सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता लेकिन इस बार वह अजमेर से हार गए। इसी तरह विधायक विश्वेन्द्र सिंह ने भी वर्ष 1989 में भरतपुर से जनता पार्टी तथा वर्ष 1999 एवं 2004 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतकर अपना दबदबा कायम किया था।

चूरू संसदीय सीट पर दौलतराम सारण ने वर्ष 1977 में जनता पार्टी, वर्ष 1980 में जनता पार्टी सेक्युलर तथा वर्ष 1989 में जनता दल के प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतकर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसी तरह जसवंतराज मेहता ने वर्ष 1952 में जोधपुर संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय एवं वर्ष 1957 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव जीता।

इसके बाद मेहता ने अपना चुनाव क्षेत्र बदलकर वर्ष 1962 में पाली से चुनाव जीतकर तीसरी बार लोकसभा पहुंचे। इसी प्रकार अमृत नाहटा ने भी वर्ष 1977 में पाली से जनता पार्टीतथा वर्ष 1967 एवं 1971 में बाड़मेर से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता।

कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में हरीशचंद्र माथुर ने वर्ष 1957 में पाली से तथा वर्ष 1962 में जालौर से जीत हासिल की थी। कांग्रेस के एन के सांगी ने वर्ष 1967 में जोधपुर तथा वर्ष 1971 में जालौर तथा मीठालाल मेहता वर्ष 1967 में स्वतंत्र पार्टी एवं 1977 में जनता पार्टी से सवाई माधोपुर संसदीय सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। इसी तरह रामजीलाल यादव, बृजराज सिंह, कृष्ण कुमार गोयल, हीमेन्द्र सिंह बनेडा, नाथू सिंह, जी. डी सोमानी आदि नेताओं ने भी पार्टी एवं स्थान बदलकर चुनाव जीते थे।

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