बाड़मेर। जसवंत सिंह मामले में वसुंधरा ने खुद पर लगे आरोपों को किया खारिज

 

बाड़मेर से जसवंत सिंह का टिकट काटना पार्लियामेंट्री बोर्ड का फैसला था, न कि राजस्थान की चुनाव समिति का। वहां जिताऊ उम्मीदवार को ही टिकट दिया गया। यही फार्मूला दौसा और सीकर में भी अपनाया गया।

बेबाक बोल : चेहरे से नहीं चलती राजनीति, मैं राजस्थान में ही खुश, चुनाव बाद मंत्रिमंडल विस्तार संभव

मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार धौलपुर में मंगलवार को दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में  वसुंधरा राजे ने जसवंत सिंह का टिकट कटने को लेकर खुद पर लग रहे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि मैंने हर सीट कवर किया है। भाजपा मिशन-25 पूरा करेगी। बाड़मेर, दौसा और सीकर की सीटें भी हम ही जीतेंगे।
 
आपने जसवंत सिंह का टिकट क्यों कटवाया?

जवाब - कार्यकर्ताओं की राय पर जीतने वालों को टिकट

क्या मिशन-25 में दौसा और बाड़मेर जैसी सीटें बाधा बन सकती हैं?
 
जवाब - मिशन-25 कामयाब होगा। मैंने 64 सभाएं कीं। 25 के 25 लोकसभा क्षेत्र कवर किए हैं। देश मोदीजी को पीएम बनाना चाहता है।

जसवंत सिंह का कहना है कि आपके कारण बाड़मेर से उन्हें टिकट नहीं मिला। सुषमा स्वराज ने भी साफ कहा है कि पार्लियामेंट्री बोर्ड में जसवंत सिंह के टिकट को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई, मतलब साफ है कि आपने ही

जसवंत सिंह को टिकट देने से रोका, क्यों?

जवाब - ये पार्लियामेंट्री बोर्ड का फैसला था। हमने एक-एक सीट की ग्राउंड रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद टिकट बांटे। जो जिताऊ उम्मीदवार थे, उन्हें टिकट मिल गए।

कर्नल सोनाराम को इसलिए टिकट मिला, क्योंकि वे गहलोत विरोधी हैं?

जवाब - मैंने कहा, ग्राउंड रिपोर्ट और कार्यकर्ताओं की राय के बाद टिकट बांटे हैं। फिर कहूंगी, जो जिताऊ थे, उन्हें टिकट मिल गया। पर कुछ दिन पहले आप के  ही तो विरोधी थे। कर्नल  सोनाराम ये पलटवार कैसे किया इस कोई जवाब नहीं मिला।

13 नए चेहरों पर दांव खेला, क्या पुराने लोगों पर भरोसा नहीं था?

जवाब - राजनीति चेहरों से नहीं, काम से चलती है। नए चेहरों को टिकट के पीछे निजी एजेंडा नहीं। जो जीत सकता था, उसे टिकट मिला।


दौसा में पूर्व डीजीपी हरीश मीना को टिकट देने के पीछे क्या सियासी वजह रही, जबकि आपने विधानसभा चुनाव से पहले शिकायत भी की थी कि डीजीपी कांग्रेस सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं?

जवाब - मैं पहले ही कह चुकी हूं कि टिकट कार्यकर्ताओं की राय और ग्राउंड स्टडी के बाद ही दिए गए हैं।


पूर्व डीजीपी भाजपा में कभी रहे नहीं, फिर ग्राउंड स्टडी का आधार क्या? क्या भाई के मुकाबले भाई को खड़ा कर जीत की राह तैयार की गई?

जवाब - चुनाव जीतने के लिए लड़े जाते हैं। दौसा में कांग्रेस से पहले भाजपा ने टिकट दिया। यह सवाल तो कांग्रेस से पूछिए कि उन्होंने भाई के मुकाबले भाई को टिकट क्यों दिया।


सीकर में सुभाष महरिया का बागी होकर चुनाव लडऩा क्या संगठन का फैल्योर नहीं है?

जवाब - नहीं, संगठन काम कर रहा है, अब सीकर में हम जीतेंगे। चुनाव कोई भी लड़ सकता है।

भाजपा राजस्थान में 2008 का चुनाव हार गई, नहीं तो आप तीसरी बार मुख्यमंत्री होतीं और मोदी के बराबर होने के नाते क्या आप भी प्रधानमंत्री की दावेदारों में शामिल होतीं?

जवाब - यह सच है कि मैं हारी हूं। और यह भी सच है कि मैं हार के बाद मुख्यमंत्री बनी हूं। मैं राजस्थान में ही खुश हूं।


क्या लोकसभा चुनाव के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा?

जवाब - देखते हैं। हो सकता है।

कांग्रेस का आरोप है कि आपकी सरकार उनकी योजनाओं को बंद करेगी। कितना सच है?

जवाब - कांग्रेस 66 साल से भ्रम और अफवाह फैलाती आ रही है। कौन सी योजना है, जिन्हें हम बंद करेंगे? पहले भी पेंशन मिलती थी, पहले भी गरीबों को मुफ्त दवा दी जाती थी। हम योजनाओं को बंद नहीं करेंगे, लेकिन यह सुनिश्चित करेंगे कि उनका लाभ सही व्यक्तियों तक पहुंचे।


गहलोत कह रहे हैं कि आपने तीन महीने में कुछ नहीं किया?

जवाब - जिन्होंने पांच साल तक कुछ नहीं किया, वे तीन महीने का हिसाब मांग रहे हैं। हमारे फैसले जनता को मालूम हैं। विजन डॉक्यूमेंट जनता को समर्पित है। 24 घंटे बिजली का वादा था, 20-22 घंटे मिलने लगी है। 72 घंटे में ट्रांसफॉर्मर बदलने लगे हैं। टैट की अब सिर्फ एक ही परीक्षा होगी। इतनी बुरी हार के बाद भी मेरा नाम जपने के अलावा वो कर क्या रहे हैं।

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