बाड़मेर। न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी! डोडा मत पी डोकरिया

बाड़मेर। डोडा पोस्त के संकट से जूझ रही सरकार करीब एक वर्ष बाद इस समस्या से पीछा छुड़ाने जा रही है। केन्द्र व राज्य सरकारों के बीच यह सहमति बनी है कि 31 मार्च 2015 के बाद न तो डोडा पोस्त के ठेके होंगे, न ही दुकानें होगी। डोडा पोस्त का सेवन करने वालों के नए लाइसेंस भी नहीं बनेंगे। ऎसे में न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी। इधर फिलवक्त जो लाइसेंसधारी हैं, उन्हें मार्च 2015 के बाद पोस्त कैसे मिलेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है।

राज्य में डोडा पोस्त के नए लाइसेंस वर्ष 2001 में अंतिम बार बने थे। उसके बाद से लाइसेंस का प्रतिवर्ष नवीनीकरण किया जा रहा है। बीते चार माह से बाड़मेर सहित राज्य भर में डोडा पोस्त को लेकर मारामारी मची हुई है। विधानसभा चुनाव के बाद यह समस्या बेहद गंभीर हो गई। लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार ने इस समस्या को एक रणनीति के तहत झेला। पिछले तीन माह में हाल यह रहा है कि अकेले बाड़मेर जिले में डोडा पोस्त की दुकानों से प्रतिदिन औसतन करीब चार हजार किलो डोडा पोस्त का वितरण किया गया जबकि जिले का प्रतिदिन का कोटा केवल 595 किलो ही है। बीते तीन माह में कुछ दिन ऎसे भी रहे हैं कि पोस्त की दुकानों से प्रतिदिन छह हजार किलो डोडा पोस्त का उठाव हुआ। अवैध पोस्त के आंकड़े इसमें शामिल नहीं है। ऎसे में स्पष्ट है कि पोस्त का सेवन करने वालों की संख्या लाइसेंसधारकों की तुलना में कम से कम दस गुणा ज्यादा है।

ये हैं सरकारी आंकड़े

वित्तीय वर्ष 2013-14 में बाड़मेर जिले में केवल 28 17 जने डोडा पोस्त के लाइसेंसधारी रहे। फिलहाल लाइसेंस के नवीनीकरण का कार्य चल रहा है। एक अनुमान के मुताबिक नवीनीकरण की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद लाइसेंसधारको की संख्या में करीब दस फीसदी कमी आएगी। अंदाजन करीब ढाई हजार लाइसेंसधारक बचेंगे। सरकार की जिम्मेदारी इन्हें ही डोडा पोस्त मुहैया करवाने की रहेगी।

 ये है कड़वी सच्चाई

डोडा पोस्त का जितना उठाव हो रहा है, उससे यह अनुमान है कि बाड़मेर जिले में चालीस हजार से अधिक डोडा पोस्त के बंधाणी (नियमित सेवन करने वाले) हैं। वर्ष 1996 से 2001 तक जब डोडा पोस्त सेवन करने वालों के खुले हाथ लाइसेंस बन रहे थे, तब बंधाणियों की संख्या करीब 25 हजार थी। उम्मीद थी कि समय गुजरने के साथ संख्या घट जाएगी और वर्ष 2015 तक डोडा पोस्त का कोई बंधाणी नहीं होगा। लेकिन उम्मीद के विपरीत बंधाणियों की संख्या बढ़ गई और नए लाइसेंस बंद ही रहे।

 नए लाइसेंस कब बनेंगे?

केन्द्र व राज्य सरकार डोडा पोस्त की दुकानें उठाने की तैयारी कर रही हैं, लेकिन डोडा पोस्त का सेवन करने वाले यह पूछते फिर रहे हैं कि नए लाइसेंस कब बनेगे। सरकार की मंशा व जमीनी हकीकत में रात-दिन का अंतर है। पोस्त का सेवन करने वाले यह मानने के लिए तैयार ही नहीं है कि वास्तव में डोडा पोस्त बंद हो जाएगा। वे यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि नए लाइसेंस बनेंगे और उन्हें आसानी से प्रचुर मात्रा में पोस्त मिलेगा।

शिविर लगाने की तैयारी

डोडा पोस्त की समस्या से स्थायी तौर पर पीछा छुड़ाने के लिए शीघ्र ही डोडा पोस्त मुक्ति शिविर लगाने की तैयारी चल रही है। चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद शिविरों का सिलसिला शुरू हो जाएगा। हालांकि अभी तक शिविर प्रक्रिया विचार के स्तर पर ही है। शिविरों में बंधाणियों को डोडा पोस्त के नशे से मुक्ति दिलाने का गंभीरता से प्रयास किया जाएगा।


डोडा मत पी डोकरिया 

यह हालत कई वर्षो पहले शब्दों आकि गई थी ,डोडा मत पीयों युवा पीढ़ी कि पुकार थी। हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं , फिर लोगों ने  इसका चस्का जारी रखा अब बुरी हालत में हैं।  अब नेसडियो को यह चस्का छोड़ना हीं पड़ेगा। 

 नए लाइसेंस नहीं

 डोडा पोस्त के नए लाइसेंस नहीं बन रहे हैं। वर्ष 2001 के बाद से यही नीति है। पिछले वर्ष के 28 17 लाइसेंस हैं, उन्हीं में से नवीनीकरण किया जा रहा है। इससे पहले के लाइसेंस का नवीनीकरण भी नहीं होगा। -मोहनराम पूनिया, जिला आबकारी अधिकारी बाड़मेर

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