बाड़मेर। "सिक" रहा है "अस्पताल"


बाड़मेर। तीन सौ बैड के राजकीय जिला अस्पताल में 46 डिग्री पार तापमान में मरीज सिक रहे हैं। सामान्य वार्ड में गर्मी के मारे मरीज बदन से कपड़े उतारकर पंखे झलते नजर आ रहे है। "मां-दादी-नानी" रोते बिलखते नवजात शिशुओं को चुप नहीं करवा पा रही हैं और वे बच्चे जिन्हें विशेष सार संभाल के लिए एसएनएलयू वार्ड में दाखिल किया गया है वे वेंटीलेटर पर तो हैं लेकिन सारे एसी खराब होने से पंखों की हवा में तड़प रहे हंै। गर्मी को लेकर अस्पताल की बदइंतजमियां मरीजों पर भारी पड़ रही है। इस स्थिति में अस्पताल में दाखिल मरीजों को भी उल्टी-दस्त-हैजा हो जाए तो कोई अचरज नहीं होगा।

कूलर का इंतजाम नहीं

जिला अस्तपाल के सामान्य वार्ड से लेकर पूरे अस्पताल में कहीं पर भी कूलर नहीं है। मरीजों को पंखों के नीचे सोना पड़ रहा है। पत्थर तपने के साथ पंखे गर्म हवा देते हैं। मरीजों के मुताबिक शाम पांच बजे से रात नौ बजे तक पंखों की हवा इतनी गर्म होती है कि बेहाल हो जाते है।

लू तापघात वार्ड भी नहीं

गर्मी बढ़ने के साथ लू, तापघात के लिए अलग से वार्ड बनाना है जहां कूलर व बर्फ का अनिवार्य प्रबंध हो, लेकिन अभी तक वार्ड शुरू नहीं हुआ है।

एक आदमी के भरोसे

अस्पताल की विद्युत व्यवस्था की सार संभाल को स्थायी कर्मचारी नहीं है। पूरे अस्पताल का कार्य ठेके पर दिया गया है। एक आदमी के भरोसे पूरा विद्युत तंत्र है। ऎसे में कार्य प्रभावित हो रहा है।

सरकार से भी ऊपर

राज्य सरकार की ओर से अस्पतालों के प्रति संवेदन रहने की हिदायत प्रशासन को दी गई है। उपखण्ड अधिकारी को प्रतिमाह रिपोर्ट को पाबंद किया गया है। जिला कलक्टर मेडिकल रिलीफ सोसायटी की बैठक की अध्यक्षता भी करते हैं, लेकिन अस्पताल में इस प्रकार के इंतजाम संकेत करते है कि संवेदना कहीं पर भी नहीं है।

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