बाड़मेर। 6 लाख परिवार, 15 दिन भी नहीं काम


बाड़मेर। मनरेगा में जहां एक ओर सौ और डेढ़ सौ दिन काम दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर काम नहीं करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। वित्तीय वर्ष 2013-14 में प्रदेश में 4 लाख 45 हजार परिवारों ने मनरेगा के तहत सौ दिन का कार्य पूर्ण किया है जबकि 6 लाख तीन हजार परिवारों ने 15 दिन भी काम नहीं किया। बाड़मेर सहित भीलवाड़ा, जयपुर, जोधपुर, टोंक पांच जिले हैं जहां तीस हजार से अधिक परिवारों ने मनरेगा में मजदूरी पंद्रह दिन से कम की है। इन जिलों में मजदूर नहीं मिलने की समस्या की वजह से काम लंबित होने की परेशानी है।

इसलिए नहीं किया काम

नहीं करने की एक वजह अनपढ़ मजदूरों को नियमों की जानकारी नहीं होना है। इन जिलों में अन्य कार्यो में मनरेगा से ज्यादा मजदूरी बाजार में मिलने से कई परिवार अन्यत्रनियोजित रहते  है।

बेरोजगारी भत्ते के हकदार

मांगने पर भी काम नहीं मिलने पर मनरेगा जॉबकार्ड धारक को बेरोजगारी भत्ता देने का नियम है। इसके लिए संबंधित को कार्यक्रम प्रभारी को आवेदन करना पड़ता है और इसके बाद उसे बेरोजगारी भत्ता देय होता है। सीमावर्ती बाड़मेर जिले में एक भीश्रमिक को बेरोजगारी भत्ता नहीं मिला है। विभाग का तर्क है कि किसी ने काम के लिए आवेदन किया ही नहीं।

प्रदेश के पांच जिले (15 दिन से कम)

भीलवाड़ा 35 हजार 630 परिवार, जयपुर 30 हजार 788, जोधपुर 32 हजार 536, टोंक 39 हजार991 व बाड़मेर में 30 हजार 242 परिवार ने पंद्रह से कम काम किया है। पूरे प्रदेश में 6लाख3 हजार 26 परिवारों ने पंद्रह दिन से कम काम किया है।

बाड़मेर जिला स्थिति (15 दिन से कम)

पंचायत समिति चौहटन 5 हजार 419, धोरीमन्ना 4 हजार 290, बाड़मेर 3 हजार 20, बायतु 2 हजार 324, बालोतरा 3 हजार 869, शिव 2 हजार 783, सिणधरी 5 हजार 503, सिवाना 3 हजार 34, कुल 30 हजार 242 परिवार।

मांगने वालों को दिया काम बाड़मेर जिले में नरेगा में पर्याप्त काम है।जिन्होंने काम मांगा उनको मिला है। बेरोजगारी भत्ता एक भी व्यक्ति को नहीं मिला है।-रंजनकुमार कंसारा, अधिशासी अभियंता, मनरेगा

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