शब्दों के जादूगर खुशवंत सिंह नहीं रहे

नई दिल्ली। मशहूर पत्रकार और लेखक खुशवंत सिंह का गुरूवार को दिल्ली में निधन हो गया। वह 99 साल के थे।

सिंह पिछले कुछ वर्षो से बीमार चल रहे थे। उन्होंने गुरूवार सुबह नई दिल्ली के सुजान सिंह पार्क स्थित निवास में अंतिम सांस ली। उनके परिवार में पुत्र राहुल सिंह और पुत्री माला हैं।

एक पत्रकार, स्तंभकार और एक बेबाक लेखक के रूप में उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली और अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुस्कारों से सम्मानित भी किया गया। उन्हें पद्यश्री, पद्यविभूषण जैसे सम्मानों से भी सम्मानित किया जा चुका है।

खुशवंत सिंह जीवन भर धर्मनिपरेक्षता के उसूलों के लिए संघर्षरत रहे। उनका जन्म दो फरवरी 1915 को पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब में खुशाब जिले के हदाली में हुआ था। उनके पिता सर सोभा सिंह एक जाने माने बिल्डर एवं वास्तुकार थे। उनके चाचा सरदार उज्ज्वल सिंह पंजाब एवं तमिलनाडु के राज्यपाल रहे।

उन्होंने 35 किताबें लिखीं और नौ लघु कथा संग्रह प्रकाशित किए। सिंह वर्ष 1980 से 1986 तक राज्यसभा में मनोनीत सदस्य रहे। सिंह को वर्ष 1956 में लिखी `ए ट्रेन टू पाकिस्तान` से अन्तरराष्ट्रीय ख्यति मिली। सिंह ने अपनी स्नातक की पढ़ाई गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर में पूरी की और उसके बाद, लंदन, ब्रिटेन में किंग्स कॉलेज में कानून में आगे की पढ़ाई शुरू की।

सिंह ने भारत सरकार द्वारा प्रकाशित पत्रिका `योजना` का भी संपादन किया। नेशनल हेराल्ड और हिन्दुस्तान टाइम्स के अलावा सिंह ने इलस्ट्रेटेड वीकली का संपादन किया। सिंह 1980-1986 तक भारतीय संसद में राज्यसभा सदस्य रहे।

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