बाड़मेर। दूध पर सख्ती, दारू पर नरमी

बाड़मेर। दूध,दही और छाछ बेचने वालों को खाद्य सुरक्षा गारंटी अधिनियम के तहत लाइसेंस नहीं लेने पर कार्यवाही करने की "लाल आंखें" दिखाने वाला चिकित्सा महकमा "दारू बेचने" वालों से आंखें फेरे हुए है। खाद्य सुरक्षा गारंटी अधिनियम 2006 के तहत एल्कोहल को भी पेय पदार्थ में शामिल किया गया है। केन्द्र के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 18 दिसंबर 2012 को जारी आदेश में चिकित्सा महकमे को आदेश किया था कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक निर्घारक भारत सरकार की ओर से तय किया गया है कि शराब के लाइसेंस जारी होेने से पहले खाद्य सुरक्षा गारंटी के तहत लाइसेंस होना चाहिए।

शराब की दुकानों पर लाइसेंस नहीं होने की स्थिति में राज्य सरकार का संबंधित चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महकमा खाद्य सुरक्षा गारंटी के तहत कार्यवाही भी कर सकता है। यह आदेश आने के बाद भी विभाग की ओर से एक भी कार्यवाही शराब की दुकानों पर नहीं हुई है और न ही जांच की गई है कि यहां खाद्य सुरक्षा गारंटी के तहत लाइसेंस लिए हुए है भी या नहीं। आबकारी महकमे का तो यह हाल है कि इस प्रकार के किसी आदेश की जानकारी ही नहीं है।
क्यों हुए आदेश
खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत शराब को पेय पदार्थ में रखा है। बड़ी संख्या में लोग इसका सेवन करते है ऎसे में शराब में भी खाद्य सुरक्षा लागू की गई है।

आदेश भी नहींविभाग की ओर से आबकारी महकमे या फिर शराब विक्रेताओं को भी इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई गई है।
इधर हो रही कार्यवाहीइधर शुद्ध के लिए युद्ध अभियान में भी जिले में दूध, दही, खाद्य सामग्री को लेकर कार्यवाही निरंतर जारी है। होली पर्व पर दस नमूने लिए गए है।
आदेश मिला था, मार्गदर्शन मांगा हैपूर्व में एक आदेश केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा महकमे से आया था लेकिन इसके बाद स्पष्ट निर्देश नहीं मिले। अब विभाग से मार्गदर्शन मांग रहे है।इसके बाद ही कुछ बता पाएंगे।-भूराराम चौधरी, खाद्य निरीक्षक
ऎसी जानकारी नहींइस प्रकार के किसी आदेश की जानकारी नहीं है। खाद्य सुरक्षा गारंटी अधिनियम की जानकारी भी नहीं मिली है।-मोहन पूनिया, जिला आबकारी अधिकारी

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