नई दिल्ली। आखिर वसुंधरा सरकार को किसने किया मजबूर?

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के लिए दागी, वंशवाद, पैराशूट उम्मीदवार को टिकट देने को राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट कोई मुद्दा ही नहीं मानते हैं। वो कहते हैं कि चुनाव के परिणाम चौंकाने वाले होंगे। यह धारणा भी खत्म होगी कि सत्ताधारी दल ज्यादा सीटें जीतता है।उनसे बातचीत की राजस्थान पत्रिका संवाददाता अजीत मैंदोला ने। पेश हैं मुख्य अंश-
आपने भाजपा पर सीट बदलने का आरोप लगाया, लेकिन आपके यहां भी सीपी जोशी ने सीट बदली। आपके भी बदलने की चर्चा थी?मेरे को लेकर कई जगहों से प्रस्ताव आए थे। लेकिन जब आलाकमान के सामने चर्चा में मैंने साफ कर दिया कि मैं अजमेर सीट नहीं छोड़ंूगा। मैंने पांच साल में यहां विकास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। लोगों ने मुझे हमेशा मान सम्मान दिया।

मैं अजमेर छोड़ने की सोच भी नहीं सकता। जहां तक जोशी जी का सवाल है तो हमने टिकटों का वितरण ऎसे किया, जिससे कि हम अधिक सीटे जीत सकें। हमने नए चेहरों व युवाओं को जोड़ा है। सभी समुदाय वर्गो को मौका दिया है। महिलाओं को भी उचित प्रतिधित्व मिला है। मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे यह प्रत्याशी सबको चौंकाएंगे।
कांग्रेस ने दागी,नाते रिश्तेदारों और बाहरी को टिकट दिए हैं?हमने किसी दागी को टिकट नहीं दिया। अगर आप उदयलाल आंजना की बात कर रहे हैं तो वो विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। यदि उन पर कोई आरोप साबित होता तो वे चुनाव नहीं लड़ सकते थे। अब सवाल यह कि हारे हुए विधायकों को टिकट क्यों दिया? इस पर यही कहूंगा कि विधानसभा चुनाव और अब के हालात में बदलाव आया है।

हमने उसी को टिकट दिया जो जीतने की स्थिति में है। नाते रिश्तेदारों में भी जीत को ही प्राथमिकता दी गई। बद्री जाखड़ की बेटी लंबे समय से कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय है। इसलिए उसे टिकट दिया गया। अजहर क्रिकेटर हैं और वहां चुनाव जीतेंगे इसलिए उन्हें भी मौका मिला।
टिकटों में आखिर चली किसकी? कहा जा रहा है कि वरिष्ठ नेताओं की नहीं सुनी गई?कांग्रेस में एक व्यवस्था है, जिसके तहत टिकट दिए जाते हैं। पार्टी पंचायत से लेकर सभी वरिष्ठ नेताओं से सुझाव लेती है और उसके बाद आलाकमान चयन करता है। प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं से आलाकमान ने सुझाव लिए और उसके बाद नाम घोषित किए गए।

प्रदेश अध्यक्ष के रूप में यह चुनाव कितनी बड़ी चुनौती है?हर चुनाव चुनौती होता है। हमारा लक्ष्य सभी 25 सीटें जीतना है। कार्यभार संभालने के बाद मैंने कई इलाकों का दौरा किया। जमीनी कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद किया। राज्य के मुद्दों को लेकर सड़कों पर उतरा।

वसुंधरा सरकार को रिफाइनरी, मेट्रो, पेंशन व जनहित में चलाई जाने वाली योजनओं यथावत जारी रखने के लिए मजबूर किया। ये ऎसी तैयारियां हैं जिनके चलते जनता का मन बदला है। साथ ही राज्य सरकार ने चुनाव के समय जो वायदे किए थे, उन्हें वह भी पूरा नही कर पाई है। अब जनता चुनाव मे भाजपा को सबक सिखाएगी।
क्या मोदी लहर है? कांग्रेस के लिए मुश्किल आएगी?मोदी की कोई लहर नहीं है। लहर होती तो भाजपा के बड़े नेता सीट नहीं बदलते। खुद राजनाथ सिंह गाजियाबाद से भागकर लखनऊ नहीं जाते। भाजपा नेता खुद ही मोदी से डरे हुए हैं। यही वजह है कि कभी सुषमा स्वराज ट्वीट करती हैं।

तो कभी जोशी-आडवाणी नाराज हो जाते हैं। अब तो चर्चा है कि जसवंत सिंह को निर्दलीय लड़ने की धमकी देनी पड़ रही है। मैं दावे से कह रहा हूं कि परिणाम चौंकाने वाले होंगे। अब तक जितने सर्वे आए हैं वे सभी गलत साबित होंगे। मेरी कोशिश रहेगी कि मैं उस धारणा को भी गलत साबित करूंगा, जिसमें कहा जाता है कि सत्ताधारी पार्टी 20 से ज्यादा सीटें जीतती है।

कांग्रेस प्रचार में पिछड़ती नजर आ रही है। ऎसा क्यों?ऎसा नहीं है। हां, इतना मैं कह सकता हूं कि कम्युनिकेशन को सुधारना होगा, जिससे कि हम अपनी बात ज्यादा लोगों तक पहुंचा सकें।

चुनावी मुद्दे क्या होंगे?यूपीए सरकार के दस साल की कई उपलब्घियां हैं, जिन्हें हम जनता में ले जाएंगे। मनरेगा, भोजन की गारंटी, लोकपाल, शिक्षा, बिजली आर्थिक स्थिति में सुधार आदि कई मुद्दे हैं।
युवा वोटर से क्या उम्मीद है?
युवा इस बार कांग्रेस के साथ जुड़ेगा। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने संगठन में बदलाव कर युवाओं को मौका दिया है। उससे बड़ा संदेश गया है। मैंने दौरों के दौरान देखा है कि युवा इन फैसलों से उत्साहित है।

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