ताकत वतन की हम से है

बाड़मेर। अन्तरराष्ट्रीय सीमा पर आबाद गांव सज्जन का पार। ढाणियों में बसी आबादी से करीब सात सौ मीटर दूर स्थित बीएसएफ की बीओपी। समय रात के दस बजे। कम्पकंपाने वाली ठंड। जिस सर्दीमें समूचा जन जीवन घरों में दुबका रहता है उस समय यहां के जवानों की चुस्ती-फुर्ती और हौसला देखते ही बनता है। गर्म लबादों में ढके हथियारबंद बीएसएफ के जवान। हल्की सी आहट सुनते ही अलर्ट।

सीमा सुरक्षा बल की ओर से बुधवार रात मीडियाकर्मियों को इन जवानों से रूबरू करवाया गया। मीडियाकर्मियों का दल जब सज्जन का पार (एसकेटी)पहुंचा तो रात के करीब आठ बज गए। सीसुब के गुजरात फ्रंटियर के आई जी ए के सिन्हा और बाड़मेर सेक्टर के डीआईजी ने यहां बीएसएफ की कार्य प्रणाली से अवगत करवाया। इसके करीब आधे घंटे बाद जिप्सियों में सवार होकर जब तारबंदी के निकट पहुंचे तो फ्लड लाइटों की कतारों ने एक बारगी आभास करवाया कि किसी शहर के निकट पहुंचे हो। तारबंदी के निकट आंखे चुंधियाने वाली रोशनी में पाक की ओर नजरे गड़ाए पेट्रोलिंग करते जवान।

स्थान चांदे का पार। समय रात के एक बजे। तापमापी में पारा 3 डिग्री। रेतीले धोरों के बीच आबाद बीओपी चांदे का पार। यहां से जब तारबंदी के निकट पहुंचे तो धुंध भी अपना असर दिखाने लगी थी। बकौल सीसुब अभी तक धुंध ज्यादा नहीं है, लेकिन माह के अन्त तक सर्दी की चादर में धंुध भी चरम तक पहुंच जाती है। कुछ मीटर दूर देखने में किसी भी हरकत पर नजर रखने में आने वाली परेशानी से निजात पाने के लिए यहां सीसुब को हर बीओपी में हाइटेड नाइट विजन डिवाइस उपलब्ध करवाए हुए हैं। इनके सहारे दूर-दूर तक किसी भी हरकत पर नजर रखी जा सकती है।

यह है इन जांबाजों की ड्यटी

बीएसएफ के इन जांबाजों की ड्यटी बेहद कठिन है। बीओपी से तारबंदी तक पहुंचने के बाद जवान सुबह छह से दोपहर बारह बजे तक तैनात रहता है। इसके बाद दूसरे जवान की ड्यटी लगती है। इसकी छह घंटे की ड्यटी पूरी होते ही पहले वाले जवान की शाम को छह बजे से रात बारह बजे तक और फिर रात बारह बजे से सुबह छह बजे तक दूसरे जवान की ड्यटी लगती है। एक जवान चौबीस घंटे में यहां बारह घंटे तक दो अलग-अलग चरणों में तैनात रहता है। दूर-दूर तक इन जवानों को ड्यूटी के दौरान हरदम चौकस रहना पड़ता है। सीमा पार से किसी भी हरकत को देखते ही यह सूचना सम्बंधित कम्पनी कमाण्डर को दी जाती है। वहां से वायरलैस सिस्टम से मिलने वाले निर्देशों के तहत यह जवान कार्रवाई को अंजाम देता है।

फेरा जाता है फट्टा

तारबंदी के निकट निर्घारित समय पर लकड़ी का फट्टा फेरा जाता है। इस फट्टे को फेरने के पीछे मकसद यह है कि तारबंदी के निकट भारत की सीमा में यदि किसी ने पैर रखने की कोशिश की तो वह तुरन्त पकड़ में आ जाता है। फट्टा भी ऊंटों से फेरा जाता है।

ऎसे होती है पेट्रोलिंग

तारबंदी के निकट सीसुब के जवान दो तरह से पेट्रोलिंग करते नजर आते हंैं। पैदल के अलावा यहां ऊंटो से भी जवान गश्त करते हैं। अन्तरराष्ट्रीय नियमों के तहत तारबंदी से दूर स्थित वॉच टावर पर तैनात जवान उपकरणों के माध्यम से तारबंदी पर नजर रखते हैं। वॉच टावर से दूर-दूर तक किसी भी हरकत पर सीधी नजर रखी जा सकती है। कोई भी अवांछनीय हरकत नजर आते ही सम्बंधित पेट्रोलिंग पार्टी को अलर्ट किया जाता है।

तारबंदी के निकट भारत की सीमा में यदि किसी ने पैर रखने की कोशिश की तो वह तुरन्त पकड़ में आ जाता है। फट्टा भी ऊंटों से फेरा जाता है।

"बीएसएफ है ऑल वेदर फोर्स"

बीएसएफ देश के अलग-अलग हिस्सों में सरहद की सुरक्षा को तैनात है। इन हिस्सों में अलग-अलग मौसम की प्रतिकूलता के बावजूद बीएसएफ अलर्ट है। यह बात बीएसएफ के गुजरात सीमान्त मुख्यालय के आईजी एके सिन्हा ने बुधवार रात सरहदी सज्जन का पार गांव में स्थित बीएसएफ की सीमा चौकी में संवाददाताओं से बातचीत में कही। सिन्हा ने कहा कि थार में सर्दी में पारा न्यूनतम जीरो और गर्मियों में 50 डिग्री पर पहुंच जाता है, लेकिन बीएसएफ का बेड़ा हर समय सतर्क और मुस्तैद रहता है। इसी वजह से इसे ऑल वेदर फोर्स कह सकते हैं।

सिन्हा ने कहा कि समस्याओं के बावजूद देश की रक्षा को बीएसएफ अलर्ट है। सर्दी से बचाव को जवानों को विशेष गर्म वस्त्र दिए जाते हैं। इसके अलावा तारबंदी पर तैनात जवानों के लिए रात्रि में चाय भेजी जाती है। जवानों के खाली समय में मनोरंजन के लिए टीवी व खेलकूद सामग्री आदि की बीओपी में व्यवस्था रहती है। जवानों के स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखा जाता है। बीएसएफ आपराधिक और संदिग्ध तत्वों पर भी सरहद से सटे गांवों में नजर रखता है।

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