खनन माफिया बेखौफ होकर छलनी कर रहे है आलम नगरी का पहाङ

संरक्षण के अभाव असली सौंदर्य व
जहां थी कभी हरी वादियां,वहां अब पेड़ों के ठूंठ,खनन माफिया उजाड़ रहे हैं धरती मां की कोख
धोरीमन्ना टैगलाइन नेटवर्क आलम नगरी धोरीमन्ना की पहचान यहां की पहाङ और पहाङ मे विचरण करने वाली अनेको वन्यजीव प्रजातियो व दुर्लभ जङी-बूटियों से होती थी लेकिन दुर्भाग्य है कि मामूली लोभ में प्रकृति की इस अनमोल देन को विकृति की तरफ धकेला जा रहा है।खनन माफिया पहाड़ों का सीना छलनी कर रहे हैं दूसरी तरफ शहरीकरण के विस्तार और विकास की अंधी दौड़ में पहाङ के आस-पास जंगल काटे जा रहे हैं,पानी के आवागमन स्थल पाट दिए, ऐसे में धरती माता की गोद लगातार सूनी होती जा रही है। धीरे-धीरे कम होता पानी, ठूंठ बन रहे हरे पेड़,उगते जंगलीबबूल….आने वाली वीरानगी को बयां करने के लिए काफी हैं।एक जंगल बनने में जहां सदियों लग गई,उसे उजाडऩे में पल-भर की देर नहीं की जा रही है।पिछले कुछ समय से ही सुप्रीम कोर्ट ने अरावली खनन को आपराधिक कृत्य माना और राजस्थान सरकार को पर्यावरण संरक्षण में लापरवाही बरतने पर फटकार लगाई। इस कड़ी में प्रदेश का आलम नगरी के रूप मे पहचान रखने वाला धोरीमन्ना कस्बा भी अछूता नहीं है।यहां भी  लगातार अवैध खनन धड़ल्ले से हो रहा है। पहाङ के किनारे खनन माफियाओ के अस्थायी अड्डे बने हुए हैं,लेकिन न तो खनन विभाग कुछ कर पा रहा है और ना ही वन विभाग।उपखंड प्रशासन भी पूरी तरह से मौन है।आखिर कैसे बचा सकते हैं,लगातार हो रहे अवैध खनन से धरती मां की कोख सूनी हो रही है।पहाङ मे रोजाना सुबह मे तेज धमाको की गुंज आस-पास आबादी क्षेत्र मे निवास कर रहे ग्रामीणो के पक्के मकान जर्जर होकर दरारें आ चुकी है।पहाङ की ओट मे स्थित एमआर टी बेरा स्कूल दरारो से जर्जर हो चुकी है।यहा अध्ययन करने वाले बच्चो के लिए यदि समय रहते प्रशासन ने खनन पर रोक नही लगाई तो कभी भी बङा हादसा हो सकता है।धोरीमन्ना से साता सङक मार्ग के समीप करीब पचास फीट नीचे जमीन मे लगातार विस्फोट करने से बङा गढ्ढा बना हुआ है जिससे यहा बङे हादसे की संभावना बनी रहती है।इसी गढ्ढे के पास ही प्रस्तावित आईटीआई कालेज निर्माणाधीन है।खनन माफिया हौसले इतने बुलंद है कि वन क्षेत्र के दायरे मे कर्मचारीयो से मिलीभगत कर खुलेआम खनन कर रहे है।पहाङ के आस-पास आबादी क्षेत्र होने के कारण हमेशा हादसे की आशंका के चलते कई बार उपखंड कार्यालय मे लिखित मे शिकायत दर्ज करायी लेकिन कोई कार्रवाई नही हुई।इससे साफ जाहिर है कि खनन माफियाओ पर स्थानीय प्रशासन पूरी तरह मेहरबान है।ग्रामीणो की शिकायत पर वन विभाग व खनन माफियाओ के बीच साठगांठ के चलते आवश्यक कारवाई की ओपचारिकता पूरी महज खानापूर्ति करते नजर आते है।

इनका कहना है।

धोरीमन्ना पहाङ मे लम्बे समय खनन लगातार जारी है।पहाङ मे विचरण करने वाली कई प्रजाति जैसे जरख,सियार,चिंकारा,खरगोश,पाटा गौह,सहित अनेको प्रजातिया या तो गायब हो रही या अन्य जगह पलायन करने को मजबूर है।ओर पहाङ सुना होकर वन्यजीव प्रजातिया विलुप्त हो रही है।साथ ही पहाङ मे दुर्लभ जङी-बूटिया धीरे-धीरे गायब हो रही है इन बेस्कीमती द्वारा प्राचीन ग्रंथों ओर वेद पुराणों मे चिरायु बनाने के लिए वर्णित है लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलते अनेको दुर्लभ पौधे ओर जङी-बूटिया विलुप्त होने की कगार पर है प्रशासन द्वारा शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए।

रामकिशोर भादू
अखिल भारतीय विश्नोई जीवरक्षा महासभा तहसील अध्यक्ष धोरीमन्ना।

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