दुर्गसिंह राजपुरोहित/ कालू माली
बाड़मेर। बाड़मेर के एसपी की दबंग छवि काम आई ना जिला परिषद सीओ की कुछ दिनों की कलक्टरी। ना तहसीलदार का जिद्दी स्वभाव काम आया ना आरयूआईडीपी विभाग का अड़ियल रवैया। सबको धरातल पर ला छोड़ा विद्युत विभाग ने।
दरअसल, राज्यभर के सरकारी दफ़्तरों में विद्युत के प्रीपेड मीटर लगाये जाने की शुरुआत कुछ समय से की गई है। इन प्रीपेड मीटर के कारण बिजली तब तक ही घर,कार्यालय रोशन करेगी जब तक का रिचार्ज आपने करवा रखा हो। लेकिन नया प्रीपेड मीटर इनके लिए बड़ा टेंशन मीटर बन गया।
सुबह से बिजली गुल , अधिकारियो का गुस्सा हाई वोल्टेज पर
जैसे ही अधिकारी कार्यालय में पहुंचे तो लाईट गुल देखकर उनका वोल्टेज हाई हो गया। कई अधिकारियो ने अपने मातहतों को खड़काया तो उनको भी पता नही चला कि आखिर माज़रा क्या हैं ? फिर जब विद्युत विभाग के अधिकारियो को इस बारे में पूछा गया तब उनकी अकल की खिड़की खुली कि प्रीपेड मीटर से यह परेशानी बढ़ी हैं। बताया यह जा रहा हैं कि कलक्टर साहब के आसपास बैठने वाले एक बड़े अधिकारी ने विद्युत विभाग के अधिकारी को अपने पास बुलाया और खूब खरी खोटी भी सुनाई लेकिन विद्युत विभाग के अधिकारी जी ने भी अंत में यह कह कर अपना पीछा छुड़ाया कि साहब प्रीपेड मीटर हैं बिना पैसा जमा करवाये सर्विस एक्टिव नही हो सकती।
किस विभाग से कितना आया चेक
पुलिस अधीक्षक कार्यालय ने बिजली गुल होने के बाद 54 हजार रुपए का चेक जमा करवाया तो जिला परिषद ने 25 हजार रुपए देकर वापस कार्यालय को रोशन किया। तहसीलदार साहब को 10 हजार रुपए का चेक देना पड़ा तो आरयूआईडीपी ने एक हजार देकर इज्जत बचाई।
अधिकारी कहिन
हमने प्रीपेड मीटर लगाने के दौरान ही हार्ड कॉपी और गाईडलाईन दे दी थी जिसमे स्पष्ट बताया गया कि 1 महीना यानि 30 दिन की एडवांस एनर्जी दी गई हैं और उसके बाद समयसीमा खत्म होने के बाद विद्युत सम्बन्ध विच्छेद हो जायेगा लेकिन जो इसको डील करने वाले कार्मिक थे उन्होंने गम्भीरता नहीं दिखाई और गाईडलाईन को शायद पढ़ा नही इसलिए यह समस्या आई।
बाबूलाल परिहार
एईइन,
विद्युत विभाग बाड़मेर
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