बाड़मेर। 50 डिग्री में सीमा पर मुस्तैद जवान

                       भारत-पाक सीमा से पूनम सिंह राठौड़ व दोस्त अली

बाड़मेर जिले की पाकिस्तान से लगती सीमा पर गर्मी के कहर बढ़ता जा रहा है। यहां सरहद पर पारा 50 डिग्री को पारकर चुका था। यहां पर चौकी में लगे तापमापी में पारा 50 डिग्री को दर्शा रहा है। आसमां से बरसती आग और जमीन रेत भट्टी बन भभकने लगी, इसके बावजूद यहां सीमा पर चौकसी करने वाले जवानों के जोश और जज्बे में कोई कमी नहीं है। नींबू पानी और पानी से भीगे पटके के सहारे बीएसएफ के जवान घंटों तक मुस्तैदी से पहरा देते हैं, जिसमें परिंदा भी पर नहीं मार सकता। गर्मी के कहर उनके हौसलों में कोई कमी नहीं आ रही। भास्कर टीम ने रविवार को बॉर्डर पर भीषण गर्मी में मुस्तैदी से ड्यूटी कर रहे जवानों के मर्म को साझा किया।

रवि का वार

१८९७ के बाद जयपुर में पारा ४७ डिग्री

बाड़मेर . गडरारोड के निकट सीमा पर बीएसएफ के जवान।

बाड़मेर . गडरारोड के निकट सीमा पर 50 डिग्री से अधिक तापमान के बावजूद बीएसएफ के जवानों के जोश और जज्बे में कोई कमी नहीं है। चौकस निगाहों से देश की रक्षा को हमेशा तत्पर हैं।
  
भारत-पाक सीमा से पूनम सिंह राठौड़ व दोस्त अली. बाड़मेर जिले की पाकिस्तान से लगती सीमा पर गर्मी के कहर बढ़ता जा रहा है। यहां सरहद पर पारा 50 डिग्री को पारकर चुका था। यहां पर चौकी में लगे तापमापी में पारा 50 डिग्री को दर्शा रहा है।
 
आसमां से बरसती आग और जमीन रेत भट्टी बन भभकने लगी, इसके बावजूद यहां सीमा पर चौकसी करने वाले जवानों के जोश और जज्बे में कोई कमी नहीं है। नींबू पानी और पानी से भीगे पटके के सहारे बीएसएफ के जवान घंटों तक मुस्तैदी से पहरा देते हैं, जिसमें परिंदा भी पर नहीं मार सकता। गर्मी के कहर उनके हौसलों में कोई कमी नहीं आ रही। भास्कर टीम ने रविवार को बॉर्डर पर भीषण गर्मी में मुस्तैदी से ड्यूटी कर रहे जवानों के मर्म को साझा किया। 
 
पांच लीटर पानी और नींबू का आसरा
 
सरहद पर तैनात जवान को ड्यूटी के दौरान जरीकेन में पांच लीटर पानी मिलता है। बेस कैंप से रवाना होते समय ठंडा पानी लेकर निकलते हैं, लेकिन बीओपी तक पहुंचते यह उबलने की स्थिति में आ जाता है। जवान उसे कपड़े से ढककर जतन से रखते हैं। पानी के साथ नींबू-पानी का पाउच दिया जाता है जो संजीवनी का काम करता है।
 
                                              सिर्फ छह घंटे का विश्राम
 
गडरा फॉरवर्ड में बीएसएफ की 99वीं बटालियन के एएसआई देवेन बोरा बताते है कि इस मौसम में सरहद पर ड्यूटी जंग से कम नहीं है, 24 घंटे में सिर्फ छह घंटे ही आराम करते है। दो शिफ्ट में छह-छह घंटे ड्यूटी करते हैं। तारबंदी के पास बीओपी पर मुंह पर पटका बांधे खड़े कांस्टेबल त्रिवेंद्र से भास्कर टीम ने मौसम का जिक्र किया तो वह तपाक से बोला कि यहां तो आसमां से आग बरस रही है। लू तो आग में घी का काम कर रही है। एक किमी आगे बीओपी पर तैनात बाबूलाल ने बताया कि उसका बॉर्डर पर गर्मी में डयूटी का पहला अनुभव है। देश सेवा के जज्बे की खातिर ही बीएसएफ ज्वाइन किया है। यहां ड्यूटी करने में मजा आ रहा है। अगली चौकी पर एएसआई अवतार दूरबीन से सरहद पार नजर रखे थे। उन्होंने बताया कि यहां सबसे बड़ी पानी की समस्या है, पांच लीटर पानी से छह घंटे गुजारने पड़ते है। मुख्यालय से बीओपी जाने के लिए डेढ़ से दो किलोमीटर का सफर पैदल जाना पड़ता है। उन्होंने कुछ और कटौती का भी जिक्र किया।
 
पारा 50 के पार
 
सीमा पर चौकी पर लगे तापमापी में पारा 50 के अंक को छू चुका है, इसके बाद तापमापी में अंक नहीं होते। तापमापी की हलचल को देखकर अंदाज लगाया जा सकता है कि तापमान इससे कहीं अधिक है। इस भीषण गर्मी में भी बीएसएफ के जवान चौकसी में कोई कोताही नहीं बरत रहे। वे न सिर्फ टीन की चद्दरों से बनाई बीओपी से नजर रखते हैं, बल्कि तपती रेत में गश्त करने में भी कोई गुरेज नहीं करते। 
 
                                                       पर्यावरण का संरक्षण

पांच लीटर में से भी जवान पानी बचाकर अपने लगाए पेड़ों को सींचते हैं। इस प्रकार वे रेगिस्तान में पौधारोपण करके पर्यावरण संरक्षण के अभियान को भी जारी रखते हैं। इतना ही नहीं पक्षियों के लिए जवानों ने परिंडे लगा रखे हैं। इतना नहीं कंपनी बेस कैंप में आसपास के गांवों के चरने के लिए आने वाले पशुओं को दिन में दो बार पानी भी पिलाते हैं।

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