चितलवाना। नर्मदा नहर की सबसे बड़ी मानी , छह साल में दो माइनर

चितलवाना। नर्मदा नहर की सबसे बड़ी मानी जाने वाली रतौड़ा वितरिका में पिछले छह साल में सिर्फ दो माइनर शुरू हो पाए हैं। यहां 38 माइनरों से किसानों को आज भी पानी का इंतजार है। 
नर्मदा नहर की 54 किलोमीटर लम्बाई वाली रतौड़ा वितरिका दो सब वितरिकाओं के साथ 40 माइनर व सब माइनर वाली सबसे बड़ी वितरिका है। इस वितरिका पर करीब छह साल में मात्र दो माइनर ही सिस्टम के अनुसार शुरू हो पाए हैं, 38 माइनर व सब माइनरों से किसानों को आज भी पानी का इंतजार है। यहां चितलवाना व पादरड़ी माइनर ही सुचारू होने से इनकीडिग्गियों के चुनाव के साथ ही बिल भी जारी हो गए हैं।
डिमांड पर अटके माइनर
रतौड़ा वितरिका के चितलवाना ए, बी व रणोदर ए, बी माइनरों की डिग्गियों के चुनाव होने के बाद भी किसानों द्वारा डिमांड जमा नहीं करवाने से सिस्टम शुरू नहीं हो रहा है। ऎसे में चितलवाना ए, बी व रणोदर ए, बी की कुल 27 डिग्गियों के चुनाव होने के बाद भी किसानों के डिमांड में अभाव से पानी अटका पड़ा है।
सरहद पर पानी का इंतजार
नर्मदा नहर के रतौड़ा वितरिका द्वारा गुजरात व बाड़मेर के सरहदी गांवों को पानी का इंतजार है। ऎसे में वितरिका का कार्य पूरा होने के बाद ही सरहद के लोगों को सिंचाई के साथ पीने का पानी नसीब हो पाएगा।
आगे बनाई, पीछे टूटी
रतौड़ा वितरिका के कई माइनर व सब माइनरों पर काम चल रहा है, वहीं सारा सिस्टम शुरू होने से पहले ही पानी टेस्टिंग के दौरान ही मुख्य नहर व माइनर टूटना शुरू हो गए। ऎसे में किसानों द्वारा नहर के निर्माण में घटिया सामग्री का आरोप भी लगाया चुका है।
चल रहा है काम
रतौड़ा वितरिका में दो माइनर ही शुरू हो पाए है। अन्य माइनरोे का कार्य चल रहा है। मार्च 15 में कार्य पूरा करने का लक्ष्य हैं। हेमाराम विश्नोई, सहायक अभियन्ता, नर्मदा नहर परियोजना सांचौर

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