जयपुर। राजस्थान के सबसे बड़े अस्पताल सवाई मानसिंह अस्पताल में इलाज के लिए जाने से पहले संभल के रहिएगा। वजह है क्योकि यहां के चिकित्सक अब आउटडोर में मरीजों की भीड़ को देख अपना मानसिक संतुलन खोने लगे हैं। एसएमएस अस्पताल में 26 दिन पहले ऑर्थोपेडिक विभाग में चिकित्सक द्वारा विकलांग युवक का प्रमाण पत्र फाड़ने की घटना की जांच के लिए बनी कमेटी की रिपोर्ट का यही कहना है।तीन सदस्यीय चिकित्सकों की जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर चिकित्सक को क्लीन चिट दे दी गई।
ये कहकर दी क्लीन चिट
एसएमएस अस्पताल में विकलांग युवक का प्रमाण पत्र फाड़ने की घटना 3 दिसंबर को हुई। घटना की जांच के लिए प्रशासन ने मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सीएल नवल, अस्थि रोग विभाग के डॉ. नरेंद्र जोशी और एक अन्य चिकित्सक को शामिल कर तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। कमेटी ने दो सप्ताह की गहन छानबीन के बाद रिपोर्ट अस्पताल अधीक्षक को सौंपी।
इस रिपोर्ट के मुताबिक अस्थि रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आरसी मीणा ने जानबूझ कर विकलांग चन्द्रशेखर का विकलांग प्रमाण पत्र नहीं फाड़ा। असल में आउटडोर में मरीजों के दबाव के कारण डॉ. मीणा अपना आपा खो बैठे और प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर कराने पहुंचे चंद्रशेखर का विकलांग प्रमाण पत्र फाड़ दिया।
ये कहकर दी क्लीन चिट
एसएमएस अस्पताल में विकलांग युवक का प्रमाण पत्र फाड़ने की घटना 3 दिसंबर को हुई। घटना की जांच के लिए प्रशासन ने मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सीएल नवल, अस्थि रोग विभाग के डॉ. नरेंद्र जोशी और एक अन्य चिकित्सक को शामिल कर तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। कमेटी ने दो सप्ताह की गहन छानबीन के बाद रिपोर्ट अस्पताल अधीक्षक को सौंपी।
इस रिपोर्ट के मुताबिक अस्थि रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आरसी मीणा ने जानबूझ कर विकलांग चन्द्रशेखर का विकलांग प्रमाण पत्र नहीं फाड़ा। असल में आउटडोर में मरीजों के दबाव के कारण डॉ. मीणा अपना आपा खो बैठे और प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर कराने पहुंचे चंद्रशेखर का विकलांग प्रमाण पत्र फाड़ दिया।
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