रेगिस्तानी जिले में, घर जलने के बाद तड़पते परिवार

बाड़मेर। रेगिस्तानी जिले में ढाणियों का जलना रोजमर्रा की घटना होने लगी है। हर वर्ष औसतन 500 ढाणियों में आग लग जाती है। आग लगने से झोंपें देखते ही देखते स्वाहा हो जाते है और इसमें रहने वाले गरीब परिवार की मेहनत से जुटाया राशन, अनाज और घरेलू सामान भी नष्ट हो जाता है। 
कहने को यह लाख- दो लाख का ही नुकसान होता है लेकिन जिस परिवार की पूरी जीवन की कमाई ही इतनी हों उसके लिए सबकुछ खाक होकर जमीन पर आना रहता है। आग के बाद इन परिवार की सहायता के लिए आपदा प्रबंधन के तहत सुविधाएं देय है, लेकिन ये इतनी जटिल प्रशासनिक प्रक्रियाओं की शिकार है कि ये परिवार कई दिन ही नहीं महीनों तक रेगिस्तान में खुले आसमां तले मौसम के थपड़े सहते हैऔर कोई पूछने तक नहीं जाता। आस पड़ौस के लोग या समाजसेवी आगे आ जाए तो ठीक वरना प्रशासनिक तंत्र के भरोसे तो भले ये परिवार राह तकते रहे।
सहायता का यह तरीका ठीक नहीं
आग लगने की सूचना पटवारी और ग्रामसेवक को देने की जिम्मेवारी इसी परिवार पर बनती है। थाने में भी इसकी रिपोर्ट करनी होती है। इसके बाद पटवारी, ग्रामसेवक की रिपोर्ट तहसील में तब तक पड़ी रहती है जब तक बीस तीस प्रकरण एकत्रित नहीं हो जाते। इसके बाद यह रिपोर्ट जिला मुख्यालय पहुंचती है और जिला मुख्यालय पर से इसकी स्वीकृति होती है। सारी प्रक्रिया कम से कम एक महीना लगाती है। इस एक महीने तक यह परिवार किसी भी मौसम में कैसे गुजर बसर कर रहा है इसकी जिम्मेवारी किसी को नहीं है। 
नहीं मिल रहे इंदिरा आवास
अग्नि पीडितों के लिए इंदिरा आवास का प्रावधान भी किया हुआ है, लेकिन इनको आवास मिलने में भी देरी हो रही है। अधिकांश परिवारों को इंदिरा आवास नहीं मिल पाते है।
कलक्टर के आदेश पर नहीं हवा
जिला कलक्टर ने अग्निपीडितों को तत्काल राशि मुहैया करवाने के आदेश किए है,लेकिन इसकी पालना जिला स्तर पर ही हो रही है। तहसीलों में यही ढर्रा है।
पटवारी करे तत्काल मदद
आपदा प्रबंधन के तहत पटवारी या ग्रामसेवक के पास राशि उपलब्ध हो सकती है। तत्काल सहायता के रूप में कपड़े, बिस्तर और अनाज का प्रबंध हाथो हाथ हो सकता है।
बेटा विक्षिप्त, मां आसमान तले
ग्राम पंचायत काश्मीर के गोरसियों का तला में चार-पांच माह गुजर जाने के बावजूद एक परिवार की सुध प्रशासन ने नहीं ली है। 66 वर्षीय माण्डूदेवी परिवार की मुखिया है। एक बेटा मानसिक विक्षिप्त और दूसरा बेरोजगार है। खुले आसमान तले यह परिवार पांच माह से है। 
बीपीएल को इंतजार
दूदवा के निम्बली गांव में 6 जनवरी को वेहनाराम पुत्र मंगलाराम दर्जी की ढाणी में आग लग गई। आग से घरेलू व कीमती सामान अनाज सहित ढाणी जलकर नष्ट हो गई। पटवारी ने फर्द रिपोर्ट बनाने जैसी सभी प्रक्रिया पूरी की, लेकिन आज तक सरकारी मदद नहीं मिली है। बीपीएल चयनित यह परिवार जैसे-तैसे कर अभावों में दिन गुजार रहा है। 
एक महीने से नहीं मदद
6 जनवरी को ही समदड़ी क्षेत्र के फूलण गांव में गोपाराम पुत्र सोखाराम विश्नोई की ढाणी में आग लग गई। आग से झोंपे सहित सारा कुछजल गया।परिवार आसमान तले आ गया। सरकारी मदद के नाम पर कुछ भी नहीं मिला है। जाड़े की रातों में आसमां तले यह परिवार है। 
रिपोर्ट भेज दी 
कालमों की ढाणी सांभरा में गत माह वगताराम पुत्र भीमाराम भील की ढाणी आग से जल गई। यह परिवार भी आसमान तले आ गया। पटवारी ने सरकार को रिपोर्टभेजी, लेकिन आज तक मदद के नाम पर नयाटका तक नहीं मिला है। परिवार के लिए गुजारा मुश्किल हो गया है। 
कर्ज और दर्द 
खेड़ में मुकनाराम पुत्र भींयाराम जाट की ढाणी आग की भेंट चढ़ गई। विवाह के लिए खरीदा गया सारा सामान जल गया। घरेलू व कीमती सामान, अनाज आग से जल गया। विवाह आयोजन की सारी खुशियां काफूर हो गई है।कर्ज और दर्द से डूबे इस परिवार की भी मदद नहीं हो पाई है।
मदद को कोई नहीं पहुंचा
चक भैंसका गांव के बाबूलाल पुत्र नखताराम के रहवासी झोंपड़े में 28 जनवरी को आग लगी थी। परिवार के लिए यह बड़ी घटना है। अनाज, घरेलू सामान जलकर राख हो गया, लेकिन कोई सरकारी नुमाइन्दा उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा।

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