जोधपुर। बहुचर्चित भंवरी देवी प्रकरण में राजस्थान, हाईकोर्ट ने हटाया एससी-एसटी एक्ट का आरोप


जोधपुर। बहुचर्चित भंवरी देवी प्रकरण में राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा और पूर्व विधायक मलखानसिंह विश्नोई सहित अन्य सभी आरोपियों के खिलाफ अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम के तहत लगाए गए आरोपों को अनुचित ठहराया है। निचली अदालत द्वारा तय किए गए आरोपों को चुनौती देने वाली निगरानी याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए उच्च न्यायालय ने सभी आरोपियों से एससी-एसटी एक्ट का आरोप हटाने के आदेश दिए हैं।


हाईकोर्ट ने सीबीआई की निगरानी याचिका आंशिक रूप से मंजूर करते हुए पूर्व विधायक मलखानसिंह के भाई परसराम विश्नोई व अन्य आरोपी ओमप्रकाश को भंवरी देवी के अपरहण और हत्या के आरोप से मुक्त किए जाने को भी गलत माना है। 
भंवरी देवी प्रकरण में अनुसूचित जाति-जनजाति मामलों की विशेष अदालत के न्यायाधीश गिरीश कुमार शर्मा ने 4 अक्टूबर 2012 को आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करते हुए परसराम व ओमप्रकाश को अपहरण व हत्या के आरोप से मुक्त कर दिया था।




इसके बाद परसराम पर केवल अपराध की जानकारी होने पर भी सूचना नहीं देने (धारा 202) और ओमप्रकाश पर अपराध के सबूत नष्ट करने (धारा 201) का ही आरोप तय किया गया। जो कि जमानती अपराध होने के कारण दोनों को जमानत पर रिहा किया जा चुका है। सीबीआई ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 

वहीं मलखानसिंह विश्नोई, रेशमाराम, दिनेश, पुखराज, विशनाराम, अशोक, कैलाश, अमरचंद, सहीराम ने अपने खिलाफ तय किए गए आरोपों के खिलाफ निगरानी याचिका पेश की थी। 


परसराम-ओमप्रकाश पर रहेगा अपहरण व हत्या का आरोप


उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अतुल कुमार जैन ने सभी याचिकाओं पर सुनवाई के बाद गुरूवार को इनका निस्तारण कर दिया। हाईकोर्ट ने सीबीआई की निगरानी याचिका आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए परसराम व ओमप्रकाश को अपहरण व हत्या के आरोप से मुक्त किए जाने को गलत ठहराया। 

अनुसूचित जाति-जनजाति की होने के कारण भंवरी देवी का अपहरण व हत्या किया जाना प्रमाणित नहीं होने पर हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों से अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम की धारा 3 (2) (5) का आरोप हटाने का आदेश दिया। कोर्ट ने मलखानसिंह के अलावा अन्य आरोपियों की याचिका अस्वीकार कर दी। मलखानसिंह की निगरानी याचिका फिलहाल विचाराधीन है। 


निचली अदालत में ही पेश करो प्रार्थना पत्र

निचली अदालत ने पूर्व मंत्री मदेरणा, पूर्व विधायक मलखानसिंह व अन्य कई आरोपियों की मौजूदगी भी घटनास्थल पर बता दी थी। सीबीआई ने इसे भी निगरानी याचिका में चुनौती दी थी। उनका कहना था कि विशनाराम व उनकी गैंग के अलावा अन्य आरोपी घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे। ऎसे में इस गलती को सुधारा जाए। उच्च न्यायालय ने इसके लिए निचली अदालत में ही प्रार्थना पत्र पेश करने के आदेश दिए हैं।

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