राजे सरकार के एक आदेश से मुसीबत में जनता

जयपुर। राज्य सरकार का एक आदेश जनता के लिए मुसीबत और पंच-सरपंच के लिए मौज बन गया है। अब ग्रामीण जनता को पंच-सरपंचों की शिकायत करने से पहले सौ बार सोचना पड़ेगा।


वहीं पंचायतों के जनप्रतिनिधियों को राहत देते हुए शिकायतों की जांच के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है।

राज्य सरकार ने पिछले दिनों आदेश जारी कर सभी अधिकारियों को यह निर्देश दिए थे कि पंच-सरपंचों की झूठी शिकायत करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया जाए और शिकायत करने वाले से शपथ पत्र लिया जाए। साथ ही शपथ पत्र में पूरा नाम-पता भी लिखवाने के निर्देश दिए गए हैं।

ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने यह आदेश तो जारी कर दिया, लेकिन आदेश में कहीं भी यह नहीं लिखा कि यदि कोई शिकायत आती है तो उसकी कितने दिन में जांच करवा कर उसका निस्तारण किया जाएगा।

हकीकत यह है कि पंच-सरपंचों के खिलाफ आई शिकायतों की जांच में पांच से सात साल लग जाते हैं और पांच साल का कार्यकाल पंच-सरपंच आसानी से निकाल लेते हैं।

जांच की कोई समय सीमा तय नहीं होने के कारण प्रदेश में 3600 से ज्यादा जिला प्रमुख, प्रधान, सरपंच , जिला परिष्ाद् सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड पंचों के खिलाफ लम्बे समय से जांच चल रही है। इनमें से 3300 तो अकेले सरपंच ही हैं। 

दबंगई ऎसी कि विरोध करने से लगता है डर

गोविन्दगढ़ पंचायत समिति में एक सरपंच की शिकायत करने वाले पंच शंकर सिंह का कहना है कि गांवों में आज भी जिनका दबदबा होता है, कई जगहों पर उन्हीं का कोई ना कोई आदमी सरपंच बनता है। ऎसे में उसके खिलाफ शिकायत करने की हिम्मत जुटाना वैसे ही मुश्किल होता है।

शपथ पत्र की आखिर जरूरत क्या है। ऎसा कर सरकार ने लोकतंत्र पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। शिकायत पत्र की अपने-आप में वैधता होती है। यह सब सिस्टम को कमजोर करने की दिशा में काम हो रहा है। समय-सीमा में तो कभी इन जनप्रतिनिधियों की जांच होती ही नहीं है। अरूणा राय, सामाजिक कार्यकर्ता

ऎसी जांच किस काम की


सबसे ज्यादा समस्या तीन संतानों के जांच के मामलों में आ रही है। सरपंचों के खिलाफ तीन संतान होने की शिकायत की जांच प्रक्रिया इतनी धीमी है कि चार-साढ़े चाल साल का कार्यकाल तो शिकायत की जांच में ही निकल जाता है।

पहले एसडीएम, फिर कलक्टर, संभागीय आयुक्त और अंत में राज्य सरकार के स्तर पर सुनवाई का अधिकार दिए जाने से आरोपित सरपंच अपना कार्यकाल आसानी निकल लेता है। इस मामले में भी सरकार ने कोई समय सीमा तय नहीं की है।

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