बाड़मेर। भरी दुपहरी में सिर पर तगारी


बाड़मेर। थार की धरा इन दिनों तवे के माफिक तप रही है। दोपहर होते-होते घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। ऎसी धूप में भी जिले के चालीस हजार नरेगा मजदूरों को सिर पर तगारी ढोकर काम करना पड़ रहा है। रोजगार के लिए ये लोग दुपहरी में भी मेहनत करने को मजबूर है। इनको अब सरकार से आस है कि वह उन्हें राहत देगी और मजदूरी का समय बदलेगी, लेकिन जब तक समय नहीं बदलता तब उन्हें तेज धूप में कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।

महात्मागांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना (मनरेगा) के तहत लोगों को सरकार रोजगार देती है। प्रदेश में डेढ़ सौ दिन का रोजगार अभावग्रस्त गांवों में साल में देने का प्रावधान है। जिले में नरेगा योजना के तहत वर्तमान में चालीस हजार से ज्यादा मजदूर रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। अब तो इनके लिए सुबह से शाम तक मजदूरी करना मुश्किल नहीं था, लेकिन उनकी राह में परेशानी आ रही है। यह परेशानी यहां की तेज व हाड़ जलाती गर्मी है। पिछले कुछ दिनों से थार में तापमान बढ़ा है। दिन का अधिकतम तापमान अब पैतालीस डिग्री का पार कर चुका है। दोपहर होने तक गर्मी लोगों को परेशान कर देती है। रही-सही कसर कभी रेत के बवण्डर उठने से तो कभी लू चलने से पूरी हो रही है। मध्यम और उच्च वर्ग के लोग तो घरों से बाहर निकलने में परहेज कर रहे हैं। दूसरी ओर मनरेगा पर रोजगार प्राप्त करने वाले लोगों के लिए भरी दुपहरी में भी काम करने की मजबूरी बन गई है। मनरेगा में वर्तमान में सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक कार्य चलता है। इस दौरान दोपहर में विश्राम का समय एक घण्टा निर्घारित है।

अकाल प्रभावित गांव, नरेगा सहारा

जिले में वर्तमान में 1507 गांव अकालग्रस्त हैं। इन गांवों में पेयजल के साथ सबसे बड़ी समस्या है तो वह रोजगार की है। इस रोजगार का एक बड़ा जरिया मनरेगा है। ऎसे में रोजगार की चाह में ये मजदूर गर्मी में भी मेहनत करने को मजबूर है।

समय बदले तो फायदा

पूर्व में जब भी गर्मी बढ़ती है, सरकार मनरेगा के समय में परिवर्तन कर देती है। सुबह छह से दोपहर एक बजे तक कार्य चलता है। ऎसे में गर्मी और लू शुरू होने तक मजदूर भी काम छोड़ घर पहुंच जाते हैं। उन्हें दोपहर में काम नहीं करना पड़ता और आराम मिल जाता है।

नहीं दिखते पुख्ता इंतजाम

कहने को तो सरकार ने नरेगा कार्य स्थल पर पुख्ता इंतजाम के निर्देश दे रखे हैं। छाया की व्यवस्था के साथ शीतल पेयजल का प्रबंध होना चाहिए। ये व्यवस्था नरेगा कार्य स्थल पर कई जगह नहीं दिखती है। प्राथमिक उपचार को लेकर भी प्राय: इंतजाम नहीं होने की बात सामने आती है। 

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